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गलत जानकारी शेयर करने से पहले अब ट्विटर आपको करेगा अलर्ट

नयी दिल्ली : ट्विटर कुछ दिनों में ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है जिससे किसी भ्रामक या गलत जानकारी वाले ट्वीट को रीट्वीट करने पर यूजर्स को एक चेतावनी नजर आ जाएगी. कंपनी यह सेवा पांच मार्च, 2020 से शुरू कर देगी. इसका मकसद उन भ्रामक या गलत जानकारी को फैलने से रोकना है […]

नयी दिल्ली : ट्विटर कुछ दिनों में ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है जिससे किसी भ्रामक या गलत जानकारी वाले ट्वीट को रीट्वीट करने पर यूजर्स को एक चेतावनी नजर आ जाएगी. कंपनी यह सेवा पांच मार्च, 2020 से शुरू कर देगी. इसका मकसद उन भ्रामक या गलत जानकारी को फैलने से रोकना है जो सर्वजन की सुरक्षा के लिए या मतदाता को प्रभावित कर सकती हैं.

कंपनी ने बुधवार को कहा कि वह जल्द ही अपने मंच पर ट्वीट की लेबलिंग करने लगेगी. वह ‘भ्रामक या तोड़-मरोड़ कर पेश’ की गयी जानकारी की पहचान करेगी. साथ ही लोगों को गलत सूचना देने वाले ऐसे ट्वीट को हटाने के भी कदम उठाएगी. इसके अलावा भ्रामक जानकारी वाले ट्वीट को साझा करने से पहले यूजर्स को चेतावनी भी देगी.

इसका मकसद ऐसे ट्वीट का प्रसार रोकना है। भ्रामक जानकारियों के खिलाफ ट्विटर की ओर से इस तरह का कदम उठाने की घोषणा ऐसे समय की गयी है जब दुनियाभर में सोशल मीडिया पर फर्जी या छेड़छाड़ की गयी जानकारी, फर्जी वीडियो और उनके भयानक प्रभावों को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं.

कंपनी ने अपने नवीनतम ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि किसी ट्वीट में साझा की गयी मीडिया सामग्री यदि हमें फर्जी या छेडछाड़ की हुई लगेगी तो हम उस ट्वीट पर इसकी संभावना की अतिरिक्त जानकारी देंगे. इसका मतलब ये हैं कि हम उस ट्वीट पर एक तरह का लेबल (ठप्पा) लगा सकते है और ऐसे ट्वीट को दोबारा ट्वीट करने या लाइक करने से पहले यूजर्स को चेतावनी दिखायी देगी. इसके अलावा नए सिरे से कड़े बनाए गए नियमों के तहत हम ट्विटर पर इस तरह के ट्वीट की पहुंच को कम करेंगे. इसके लिए ऐसे ट्वीट को ‘जरूर देखें’ (रिकमेंडेड ट्वीट) के सुझाव से हटाया जा सकता है.

साथ ही अतिरिक्त स्पष्टीकरण या जानकारी भी उपलब्ध कराएंगे. ट्विटर ने कहा कि अधिकतर मामलों में जिन ट्वीट पर हम भ्रामक जानकारी का ठप्पा लगाएंगे उन पर उपरोक्त वर्णित सारे कदम उठाएंगे. हमारी टीमें ट्वीट पर ठप्पा लगाने का काम पांच मार्च, 2020 से शुरू कर देंगी. किसी मीडिया या वीडियो के भ्रामक होने की जांच के लिए कंपनी यह देखेगी कि क्या उस वीडियो को इस तरह से संपादित किया गया है जिससे उसका मूलभाव और अनुक्रम बदल गया है. इसके अलावा कंपनी वीडियो को नए फ्रेम में ढालने, ऊपर से आवाज डालने और सबटाइटल के संशोधित किये जाने की भी जांच करेगी.

कंपनी यह भी देखेगी कि किसी व्यक्ति को दिखाने वाले वीडियो को बनाया गया है या उसे गढ़ा गया है.

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