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बड़ी कामयाबी: ब्रह्मांड की रहस्यमयी थ्योरी ब्लैक होल से उठा पर्दा

नेशनल कंटेंट सेलदुनियाभर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय रहे ब्लैक होल पर से बुधवार को पर्दा उठ गया. वैज्ञानिकों ने ब्रसेल्स, शंघाई, टोक्यो, सैंटियागो, वाशिंगटन और ताइपे में एकसाथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की. इवेंट होरिजन टेलिस्कोप प्रोजेक्ट के डायरेक्टर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के […]

नेशनल कंटेंट सेल
दुनियाभर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय रहे ब्लैक होल पर से बुधवार को पर्दा उठ गया. वैज्ञानिकों ने ब्रसेल्स, शंघाई, टोक्यो, सैंटियागो, वाशिंगटन और ताइपे में एकसाथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की. इवेंट होरिजन टेलिस्कोप प्रोजेक्ट के डायरेक्टर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर फेलो रिसर्चर शेफर्ड डोलेमन ने इस मौके पर कहा कि ब्लैक होल्स ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमयी चीजों में शामिल है. हमने उसे देखा है, जिसे अभी तक अदृश्य माना जाता था. हमने ब्लैक होल की तस्वीर देखी है. अंतरिक्ष के बारे में जानने को उत्सुक दुनिया भर के उत्साही लोग ब्लैकहोल की पहली वास्तविक तस्वीर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे क्योंकि अब तब इसके आकार-प्रकार के बारे में सिर्फ परिकल्पना ही की गयी थी. इसकी पहली तस्वीर जारी होने पर वैज्ञानिकों ने इसे एक ऐतिहासिक पल करार दिया. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आयेंगे.

50 वर्ष से अधिक समय से वैज्ञानिक रखे हुए थे ब्लैक होल पर नजर

200 से ज्यादा वैज्ञानिक लगे हुए थे प्रोजेक्ट में

20 वर्ष में तारे करते हैं रहस्यमयी ब्लैक होल की परिक्रमा

23 करोड़ साल लगते हैं आकाशगंगा की परिक्रमा में

होराइजन टेलिस्कोप खास तौर पर ब्लैक होल की तस्वीर लेने के लिए किया गया था डेवलप

सभी टेलिस्कोप को जोड़कर एक बड़ा आभासी टेलिस्कोप विकसित किया गया

सभी जगहों से प्राप्त डाटा को अब नासा के सुपरकंप्यूटर में किया जायेगा स्टोर

स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल पर किया था काम शुरू
कंप्यूटर और कई तरह के उन्नत उपकरणों के जरिये संवाद करने वाले वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने 1959 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ब्लैक होल के सिद्धांत को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था. हॉकिंग ने ही बताया कि बिग बैंग दरअसल ब्लैक होल का उलटा पतन ही है.

ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश भी नहीं बच पाता

ब्लैक होल ऐसी खगोलीय शक्ति है, जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र काफी शक्तिशाली होता है. इसके खिंचाव से कुछ नहीं बच सकता. ब्लैक होल में वस्तुएं गिर तो सकती हैं लेकिन वापस नहीं आ सकती. यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और उसके बदले में कुछ भी परावर्तित नहीं करता है.

बेहद साधारण भाषा में कहा जाये तो ब्लैक होल एक ऐसा गड्ढा है, जिसे भरा नहीं जा सकता है. उसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं लेकिन वापस नहीं आ सकतीं.
लुसिआनो रेजोला, प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिक

न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के जॉन व्हीलर ने नाम रखा था ब्लैक होल

छह होराइजन टेलिस्कोप यहां लगाये गये

हवाई

एरिजोना

स्पेन

मेक्सिको

चिली

दक्षिणी ध्रुव

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