Second Hand Market: कोरोना महामारी के इस दौर में सेकेंड हैंड कारों के बाजार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग पब्लिक वाहनों में यात्रा करने से बच रहे हैं, ताकि उनके घर में वायरस का प्रवेश न हो सके. ऐसे में जो लोग बजट के कारण नयी कार नहीं खरीद पा रहे हैं, उनके लिए अच्छी खबर यह है कि देश में सेकेंड हैंड कारों का बाजार तेजी से ग्रोथ कर रहा है.
भारत अगर नयी कारों का बड़ा मार्केट है, तो यह सेकेंड हैंड कारों यानी पुरानी कारों का भी बहुत बड़ा मार्केट बन चुका है. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में पुरानी गाड़ियों का बाजार साल 2026 तक 82 लाख यूनिट तक पहुंच सकता है. मार्च 2021 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 40 लाख है.
'ग्रांट थॉर्टन भारत' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुराने वाहनों का बाजार 2026 तक 82 लाख इकाइयों तक पहुंच सकता है. मार्च 2021 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 40 लाख है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि पुराने वाहनों का बाजार बढ़ने के पीछे छोटे शहरों में इन वाहनों की अधिक मांग, नये वाहनों की बढ़ती कीमतें और ग्राहकों की बदलती पसंद है.
'ग्रांट थॉर्टन भारत' की रिपोर्ट में कहा गया कि 2021 से 2030 के बीच 14.8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2030 तक बाजार का आकार बढ़कर 70.8 अरब डॉलर होने की उम्मीद है. इसमें कहा गया कि नये वाहनों की कीमतें बढ़ने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं के लिए पुराने वाहन पसंदीदा विकल्प बनने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुराने वाहनों का बाजार वित्त वर्ष 2025-26 तक दोगुना होकर 82 लाख इकाई तक पहुंच सकता है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 40 लाख इकाई था. 'ग्रांट थॉर्टन इंडिया' के पार्टनर और ऑटो क्षेत्र के प्रमुख साकेत मेहरा ने कहा कि पुराने वाहन खरीदने को ग्राहक अब पहले से कहीं अधिक तरजीह दे रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि छोटे शहरों से पुराने वाहनों की अधिक मांग आने की उम्मीद है और पुराने वाहनों की बिक्री वर्तमान की 55 फीसदी से बढ़कर अगले चार वर्ष में करीब 70 फीसदी होने का अनुमान है.(इनपुट:भाषा)