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बंगाल के 12 जिलों में मनरेगा में श्रमिकों को मिला बेहतर काम, टॉप 50 में शामिल

Bengal news, Asansol news : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत श्रमिकों को काम देने के मामले में देश के टॉप 50 जिलों की सूची में पश्चिम बंगाल के 12 जिले शामिल हैं. 1 अगस्त, 2020 तक हुए कार्यों के आधार पर देशभर के 726 जिलों को लेकर की गयी रैंकिंग में टॉप 50 जिलों में राजस्थान के 14 जिले, पश्चिम बंगाल के 12 जिले, तेलंगाना के 3 जिले, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश के 2- 2 जिले और ओडिशा, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश का 1-1 जिला शामिल है. टॉप 10 में पश्चिम बंगाल के 3 जिले दक्षिण 24 परगना, पश्चिम मेदिनीपुर और हुगली शामिल है.

Bengal news, Asansol news : आसनसोल (शिवशंकर ठाकुर) : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत श्रमिकों को काम देने के मामले में देश के टॉप 50 जिलों की सूची में पश्चिम बंगाल के 12 जिले शामिल हैं. 1 अगस्त, 2020 तक हुए कार्यों के आधार पर देशभर के 726 जिलों को लेकर की गयी रैंकिंग में टॉप 50 जिलों में राजस्थान के 14 जिले, पश्चिम बंगाल के 12 जिले, तेलंगाना के 3 जिले, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश के 2- 2 जिले और ओडिशा, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश का 1-1 जिला शामिल है. टॉप 10 में पश्चिम बंगाल के 3 जिले दक्षिण 24 परगना, पश्चिम मेदिनीपुर और हुगली शामिल है.

केंद्र सरकार ने आर्थिक वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में मनरेगा के बजट में करीब 15 फीसदी की कटौती की है. वर्ष 2019-20 मनरेगा बजट 71001.81 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये कर दिया. इसके परिणाम स्वरूप सभी राज्यों में मनरेगा का लेबर बजट कम कर दिया गया. कोरोना काल में देश के हर राज्य में बेरोजगारी की समस्या बढ़ गयी. सरकार ने इस समस्या के समाधान को लेकर मनरेगा के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा की, जिससे हर क्षेत्र में स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को उनके अपने इलाके में ही रोजगार मुहैया कराने की कवायद तेज हो गयी.

4 माह में राज्य में लक्ष्य के आधार पर 69.61 फीसदी कार्य संपन्न

कोरोना काल में राज्य सरकार ने स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को उनके घर के पास ही रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से मनरेगा को मुख्य हथियार के रूप में उपयोग किया. राज्य के हर पंचायत में यह संदेश भेजा गया कि सभी लोगों के घर-घर जाकर उन्हें मनरेगा के तहत कार्य का ऑफर दिया जाये. जो भी व्यक्ति कार्य करना चाहेंगे सभी का जॉब कार्ड बनाकर उन्हें मनरेगा के साथ जोड़ा जाये. आधिकारिक तौर पर लेबर बजट में अभी तक बढ़ोतरी नहीं की गयी है, लेकिन हर जिला को यह आदेश दिया गया कि पिछले वर्ष उसने मनरेगा में जितना श्रम दिवस सृजन किया, उसका दोगुना श्रम दिवस इस बार सृजन करना है. हर जिला ने इस आदेश पर अमल किया और 4 माह में ही राज्य में श्रम दिवस सृजन का औसत 69.61 प्रतिशत पहुंच गया.

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आर्थिक वर्ष 2020-21 में राज्य के 23 जिलों को मिला कर 22 करोड़ श्रम दिवस सृजन करने का लक्ष्य दिया गया था. जिसमें एक अगस्त, 2020 तक 15,31,51,652 (69.61 प्रतिशत) श्रम दिवस सृजन हो चुका है. कुछ जिले ऐसे हैं जिन्होंने लक्ष्य को पूरा कर आगे बढ़ गये है. इसके तहत बांकुड़ा जिला ने 109.75 फीसदी और हुगली ने 107.96 फीसदी कार्य कर लिया है. मनरेगा में सबसे अधिक कार्य अंतिम के 4 माह यानी दिसंबर से मार्च माह के बीच होता है.

टॉप 50 में राज्य के 12 जिले शामिल

मनरेगा में श्रम दिवस सृजन करने को लेकर की गयी रैंकिंग में देश के टॉप 50 जिलों में राज्य के 12 जिले शामिल हैं. 8वें स्थान पर दक्षिण 24 परगना जिला है जहां 1,55,51,763 श्रम दिवस सृजन किया गया. इसके अलावा 9वें स्थान पर पश्चिम मेदिनीपुर जहां 1,54,43,803 श्रम दिवस सृजित हुए, 10वें स्थान पर हुगली जहां 1,51,03,460 श्रम दिवस, 13वें स्थान पर बांकुड़ा जहां 1,24,79,137 श्रम दिवस सृजित हुआ, 20वें स्थान पर पूर्वी बर्दवान जहां 1,08,59,607 श्रम दिवस, 23वें स्थान पर मुर्शिदाबाद जहां 1,03,34,006 श्रम दिवस, 26वें स्थान पर बीरभूम जहां 92,42,230 श्रम दिवस, 32वें स्थान पर मालदह जहां 79,38,445 श्रम दिवस, 34वें स्थान पर अलीपुरद्वार जहां 76,00,888 श्रम दिवस, 37वें स्थान पर जलपाईगुड़ी जहां 68,44,986 श्रम दिवस, 39वें स्थान पर कूचबिहार जहां 67,15,698 श्रम दिवस और 65,27,505 श्रम दिवस सृजन कर पूर्व मेदिनीपुर जिला 43वें पायदान पर है.

Posted By : Samir Ranjan.

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