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पांच माह में 5.30 करोड़ रुपये की हो चुकी है ठगी 1.16 करोड़ रुपये वापस लौटाने में पुलिस सफल

साइबर अपराध का ट्रेंड बदला है. पहले लोग गलती से साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसते थे, अब लालच में पड़कर लोग अपनी सारी कमाई खुद साइबर अपराधियों को खुशी से सौंप रहे हैं. साइबर अपराध के इस नये ट्रेंड को ''‘इन्वेस्टमेंट स्कैम’ का नाम दिया गया है. इसमें लोग एक दो लाख रुपये नहीं, करोड़ों रुपये तक गंवा चुके हैं.

आसनसोल.

साइबर अपराध का ट्रेंड बदला है. पहले लोग गलती से साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसते थे, अब लालच में पड़कर लोग अपनी सारी कमाई खुद साइबर अपराधियों को खुशी से सौंप रहे हैं. साइबर अपराध के इस नये ट्रेंड को ””‘इन्वेस्टमेंट स्कैम’ का नाम दिया गया है. इसमें लोग एक दो लाख रुपये नहीं, करोड़ों रुपये तक गंवा चुके हैं और उन्होंने यह रकम एक दिन में नहीं गवायीं, कम समय में अधिक मुनाफा कमाने की लालच में लंबे समय से निवेश करने के बाद जब पैसे निकासी की बारी आती है तब उन्हें समझ में आता है कि वे ठगी के शिकार हो गये हैं. जिससे पुलिस के लिए ठगी की राशि बरामद करना भी करीब नामुमकिन हो जाता है. आसनसोल की एक महिला ने 75.83 लाख रुपये गवायें. एक जनवरी से अबतक आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीपीसी) साइबर क्राइम थाने में ठगी के दर्ज 34 मामलों में 5,30,45,891 रुपये की ठगी की बात सामने आयी है. अधिकांश ठगी इन्वेस्टमेंट स्कैम के जरिये की गयी. साइबर ठगी में पहले जामताड़ा गैंग का नाम काफी चर्चा में था. अब अंतरराष्ट्रीय गिरोह के शामिल होने का खुलासा हो चुका है. ठगी की राशि विभिन्न माध्यमों से विदेश भी पहुंच रही है. जिसे बरामद करना करीब नामुमकिन है. पुलिस आयुक्त सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि मोबाइल या कंप्यूटर पर बैठकर कुछ लोग रातों-रात अमीर बनने का सपना लेकर साइबर अपराधियों के झांसे में आसानी से फंस रहे हैं. इस तरह पैसा कमाने का कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है. लोगों की जागरूकता से ही यह अपराध खत्म किया जा सकता है. कमिश्नरेट पुलिस इस साल अबतक ठगी के 1.16 करोड़ रुपये वापस लौटाने में सफल हुई है.

गौरतलब है कि साइबर अपराध में पहले बैंक का किताब अपडेट, एटीएम बंद होने, बिजली बिल का भुगतान नहीं होने पर लाइन काट देने की धमकी व अन्य विभिन्न प्रकार के हथकंडों के जरिये लोगों को अपने झांसे में लिया जाता था और उनसे ओटीपी लेकर बैंक से पैसे की निकासी की जाती थी. ओटीपी की कहानी अब पुरानी हो चुकी है. फिर भी इन हथकंडों के जरिये भी वे लोगों को फंसाने के कार्य को जारी रखे हुए हैं. अब इन्वेस्टमेंट स्कैम काफी देखा जा रहा है. इसमें ओटीपी का कोई खेल नहीं है. लोग खुद ही अपनी सारी राशि साइबर अपराधियों को सौंप रहे हैं. इन्वेस्टमेंट स्कैम में एक महिला ने 75,83,246 रुपये तो एक अन्य व्यक्ति ने 59,58,501 रुपये गवायें. 39 लाख, 25 लाख, 24 लाख, 22 लाख रुपये गंवाने की कई शिकायतें साइबर थाने में दर्ज हुई है.

क्या होता है इन्वेस्टमेंट स्कैम, कैसे लोग गंवाते हैं पैसे

साइबर क्राइम थाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि साइबर अपराधी व्हाट्सऐप पर ग्रुप बनाते हैं. जिसमें वे शेयर ट्रेडिंग के नाम पर निवेश करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हैं. लोग उनके झांसे में फंस जाते हैं. ग्रुप में दिये गये निर्देशों के आधार पर लोग शेयर्स में निवेश करते हैं. कुछ ही समय में उन्हें निवेश का काफी मुनाफा भी दिया जाता है. जिससे लोग लालच में पड़कर और निवेश करते रहते हैं. निवेश पर उन्हें काफी अच्छा मुनाफा दिखाया जाता है. जब पैसे निकासी की बारी आती है तो फिर सबकुछ गायब हो जाता है. ग्रुप में कोई भी सदस्य कोई भी रिस्पांस नहीं देता. इन्वेस्टमेंट स्कैम के सभी मामलों में ऐसा ही हुआ है. इसमें लोग अपनी सारी जमा पूंजी खुद साइबर अपराधियों के हाथों में सौंप देते हैं. यह निवेश लंबे समय तक चलता है, इसलिए राशि बरामद करना कठिन हो जाता है. वे लोग वीपीएन नंबरों का उपयोग करते हैं, जिससे उनका कोई अता पता नहीं रहता है.

साइबर अपराध में संगठित अंतरराष्ट्रीय गिरोह की सक्रियता से बढ़ी पुलिस की परेशानी

इस साल जनवरी माह में कमिश्नरेट में हुई सबसे बड़ी 75.83 लाख रुपये की साइबर ठगी में 40 लाख रुपये दुबई पहुंच गया. इस कांड में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया. जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ कि चीन के एजेंट दुबई और कंबोडिया में बैठकर भारत में लोगों को लूट रहे हैं. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शेयर में निवेश करके अधिक मुनाफा दिलाने को लेकर व्हाट्सऐप पर एक ग्रुप तैयार किया जाता है. यहां से उन्हें टेलीग्राम के बिजनेस ग्रुप में जोड़ा जाता है. वे लोग वीपीएन नंबरों का उपयोग करते हैं जिसे ट्रैक करना लगभग नामुमकिन है. इस ग्रुप में लोग पहले छोटी राशि निवेश करते हैं. जिसपर उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. फिर से उस पैसे को अपराधी निवेश करवा देते हैं. ऐप में लोग देखते हैं कि उनका पैसा काफी बढ़ रहा है. जब पैसा निकासी करने जाते हैं तो कहा जाता है कि पुनः निवेश करें तब यह पैसा मिलेगा. लोगों का महीनों तक निवेश करने के बाद भी पैसा नहीं निकलता है और ग्रुप एकाएक गायब हो जाता है, तब वे समझ पाते हैं कि वे ठगी का शिकार हुए हैं. इस प्रकार की ठगी के सभी मामलों में दो से छह माह तक लोगों ने लालच में आकर नियमित निवेश किया है. ठगी की इस राशि को विदेश में बैठे अपराधी क्रिप्टो करेंसी में कनवर्ट कर लेते हैं. जिसके बाद उस राशि का पता लगाना नामुमकिन हो जाता है. ऐसी धोखाधड़ी पूरे देश में चल रही है.

देश के कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेटा एंट्री ऑपरेटर इनके लिए कर रहे काम

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार देश के कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेटा एंट्री ऑपरेटर दुबई और कंबोडिया में चीन के एजेंटों के लिए काम कर रहे हैं. बेहतर रोजगार की तलाश में देश छोड़कर गये युवक वहां जाकर फंस गये हैं. बताया जाता है कि उनका पासपोर्ट व वीसा छीन लिया गया है और बाध्य होकर ये युवक उनके लिए आपराधिक कार्य को अंजाम दे रहे हैं. एक मामले में खुलासा हुआ कि देश में हजारों पढ़े लिखे युवक उनके एजेंट घूम रहे हैं. ये लोग किसी गरीब व्यक्ति का बैंक में खाता खुलवाकर अपने पास रखते हैं. ठगी का पैसा इन्हीं खातों में आता है. भारतीय एजेंट ठगी के पैसे के दो या तीन प्रतिशत राशि के बदले इस खाता का एक्सेस विदेश में बैठे अपराधियों को एसएमएस या ऐप के जरिये भेज देते हैं. वहां बैठे अपराधी इसका पासवर्ड बदल कर अपने हिसाब से पैसे का लेनदेन करते हैं.

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