कहा जाता है कि पर्यटन किसी भी इलाके की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में काफी सहायक होता है. इसका एक दूसरा पहलू भी है. पर्यटन की आड़ में ड्रग माफिया से जुड़े लोग दार्जिलिंग के युवाओं को अपने शिकंजे में लेकर समाज को नष्ट कर रहे हैं. प्रशासन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पड़ोसी देश, नेपाल व भूटान की सीमा दार्जिलिंग की सीमा से सटी हुयी है.
इन दोनों देश की सीमाओं से लगे होने की वजह से चीन भी दार्जिलिंग से सटा हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार सुदूर देशों से ड्रग लाकर दार्जिलिंग के युवाओं में जहर फैलाया जा रहा है. पर्यटन की आड़ में कौन, कब और कैसे यह धंधा चला रहा, इससे प्रशासन अब तक अनजान है. हांलाकि पिछले कुछ वर्षों में ड्रग माफिया से जुड़े कई आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. आंकड़ो पर गौर करें तो वर्ष 2016 में प्रत्येक माह एक या दो ड्रग कारोबारियों की गिरफ्तारी हुयी है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इस पर्यटन स्थल को नशामुक्त करना प्रशासन के लिये अभी भी एक चुनौती है. कइ स्थानों पर पुलिस की लगातार पेट्रोलिंग कर रही है. बिना डॉक्टर की सलाह या परची के नशीली दवाइयां और कफ शीरप बेचने वाले दवा दुकानदारों के खिलाफ भी अभियान चलाया जा रहा है. इस क्रम में कफ शीरप फेंसीडील के हजार बोतल और टेबलेट भी जब्त किये गये हैं.
उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग शहर में धूम्रपान पूरी तरह से बंद करने के लिये जिला प्रशासन अपनी ओर से पूरा जोर लगा रही है. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर छह महीने की सजा या दो सौ रूपये तक जुर्माना का प्रावधान है. प्रशासन ने इसे लागू कर जागरूकता अभियान भी चलाया. देश के विभिन्न भागों या विदेशों से आनेवाले अनजान पर्यटकों को आगाह किया जा रहा है. दार्जिलिंग के विभिन्न स्थानों पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. नियम तोड़ने वालों से जुर्माना लिया जा रहा है. इस संबंध में दार्जिलिंग जिला पुलिस अधीक्षक अमित पी. जवालगी ने बताया कि पिछले एक वर्ष से नशीली दवाओं के खिलाफ प्रशासन ने कड़ा रूख अपनाया है. बिना डॉक्टर की परची के नशीली दवा बेचने पर दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्यवाइ की जा रही है. नशे का अड्डा बन चुके शहर के कई स्थानों पर छापेमारी कर नशीली दवाओं के साथ आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है. नशा के खिलाफ प्रशासन का यह अभियान लगातार जारी रहेगा. नशा मुक्त समाज गढ़ने की दिशा में जिला प्रशासन 20 प्रतिशत सफल रही है.