छात्रा ने अपने साथ हुए दुर्व्यहार और दाखिला ना मिलने की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की. उसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने छात्रा को दाखिला लेने का ऑफर दिया है. हांलाकि कॉलेज के प्राध्यापक के साथ संबंध खराब हो जाने की वजह से छात्रा ने दाखिला लेने से साफ इनकार कर दिया है. छात्रा का कहना है कि वैसे भी पहले से ही तीन माह की देरी हो चुकी है और ऐसे माहौल में वह पढ़ाइ नहीं कर सकेगी. छात्रा के परिवार भी सिलीगुड़ी कॉलेज में दाखिल करना नहीं चाहते हैं. सिर्फ सिलीगुड़ी कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही की वजह से पीड़ित छात्रा अन्नेशा दासगुप्ता का एक वर्ष बर्बाद हो गया.
पीड़ित छात्रा के मामा अभिषेक सेनगुप्ता से मिली जानकारी के अनुसार अन्नेशा नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग(एनआइओएस) बोर्ड ने 63 प्रतिशत अंक के साथ उच्च माध्यमिक की परीक्षा पास की है. इसके बाद स्नातक की पढ़ाइ के लिये उसने सिलीगुड़ी कॉलेज में दाखिला लेने की इच्छा जताइ और पास कोर्स के लिये ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया. दूसरी मेधा तालिका में उसका नाम आने के बाद उसने बैंक के माध्यम से फीस भी जमा करा दी. सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन के लिये निर्धारित तिथि पर वह कॉलेज में उपस्थित हुयी. उस दिन उसे बताया गया कि उसका दाखिला सिलीगुड़ी कॉलेज में नहीं हो सकता. वह एक अरजी देकर जमा नामांकन फीस वापस लेकर दूसरे कॉलेज में आवेदन करे. अभिषेक सेनगुप्ता ने कॉलेज के प्राध्यापक पर आरोप लगाते हुए कहा कि उस दिन प्राध्यापक के दफ्तर में एक व्यक्ति बैठा था, उन्होंने अन्नेशा से उनका परिचय नेताजी महाविद्यालय के प्राध्यापक के रूप में करायी और उसे नेताजी ओपन महाविद्यालय में नामाकंन की सलाह दी.
इस घटना के बाद छात्रा के मामा ने दिल्ली से सिलीगुड़ी कॉलेज प्रबंधन को एक पत्र लिखा. उसका उत्तर ना मिलने पर उन्होंने मामले की शिकायत दिल्ली में मानवाधिकार आयोग से की. मामला दर्ज होते ही मानवाधिकार आयोग ने दार्जिलिंग जिला शासक को मामले की जांच का निर्देश दिया. कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला शासक कार्यालय की चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट की दो महिला अधिकारी सिलीगुड़ी कॉलेज पहुंची थी. इन सभी गतिविधियों में करीब तीन माह का समय गुजर गया. बीते मंगलवार को जिला शासक के कार्यालय से छात्रा को एक पत्र भेजा गया, जिसमें उससे सिलीगुड़ी कॉलेज में दाखिला लेने को कहा गया है. बुधवार को छात्रा अपने मामा के साथ सिलीगुड़ी कॉलेज में पहुंची और एक लिखित पत्र के साथ दाखिला ना लेने का अपना निर्णय कॉलेज के प्राध्यापक को सौंपा. पत्रकारों से बात करते हुए छात्रा के मामा अभिषेक सेनगुप्ता ने बताया कि कागजात वेरीफिकेशन के दिन अन्नेशा और उसकी मां को प्राध्यापक ने दुत्कार कर कार्यालय से निकाल दिया था. प्राध्यापक के साथ ठन गयी है. ऐसी परिस्थिति में छात्रा का इस महाविद्यालय में पढ़ना उचित नहीं. छात्रा अन्नेशा ने खुद भी सिलीगुड़ी कॉलेज में पढ़ने से इनकार किया है. उसने कहा कि एक वर्ष बरबाद हो गया है लेकिन वह ऐसे माहौल में पढ़ाइ नहीं कर सकती. अगले वर्ष वह किसी अन्य महाविद्यालय या ओपन से ही अपनी आगे की पढ़ाइ पूरी करेगी.