उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पूरे उत्तर बंगाल में सबसे बड़ा अस्पताल है. मालदा को छोड़कर तराई-डुआर्स, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर, यहां तक कि पड़ोसी राज्य बिहार के किशनगंज, बारसोई आदि से भी मरीज यहां इलाज कराने आते हैं. ओपीडी में किसी भी प्रकार के इलाज के लिए यहां मात्र दो रुपये का एक परचा बनवाना होता है. इसके बाद पूरा इलाज मुफ्त होता है. दवाई तक मुफ्त मुहैया करायी जाती है. गंभीर बीमारियों का इलाज भी दो रुपये में ही किया जाता है. सभी प्रकार की जांच भी बिना पैसे के होती है. इसके अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज परिसर में दस रुपए के एवज में रोगियों के परिजनों के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था है. पीपीपी मॉडल में यहां रात्रि विश्रामालय बनाया गया है, जो एक रात के दस रुपये लेता है. अब मजे की बात यह है कि दो रुपये में इलाज हो रहा है, पर अस्पताल परिसर में शौच की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति प्रत्येक बार पांच रुपये और स्नान के लिए दस रुपये वसूले जाते हैं.
उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय की ओर से मेडिकल कॉलेज परिसर में मेडिसिन वार्ड के बाहर एक सुलभ शौचालय का निर्माण करा कर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को सौंप दिया गया था. बीते फरवरी माह में तत्कालीन विभागीय मंत्री गौतम देव ने इस सुलभ शौचालय का उद्घाटन किया था. कर्मचारी के अभाव में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सुलभ शौचालय के रख-रखाव की जिम्मेदारी माटिगाड़ा-1 नंबर ग्राम पंचायत को सौंप दी. फिर माटिगाड़ा ग्राम पंचायत ने यह जिम्मेदारी एक गैरसरकारी संस्था (एनजीओ) को दे दी. यह एनजीओ अब मनमानी वसूली कर रहा है.
मनमानी वसूली को लेकर रोगियों के परिजनों के साथ आये दिन सुलभ शौचालय कर्मचारियों की झड़प होती रहती है. दूर-दूर से आनेवाले रोगियों के परिजन समझते हैं कि इलाज की तरह शौचकर्म भी मुफ्त होगा. लेकिन शौच के बाद जब रुपया मांगा जाता है, तो तर्क-वितर्क शुरू हो जाता है. खास बात यह है कि बीते फरवरी माह से यह अवैध वसूली चल रही है और अस्पताल प्रबंधन अनजान है. इस संबंध में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक निर्मल बेरा ने बताया कि सुलभ शौचालय के रखरखाव की जिम्मेदारी माटिगाड़ा-1 नंबर ग्राम पंचायत को सौंपी गयी थी. इस तरह मनमानी वसूली अन्याय है. इस विषय की जानकारी उन्हें पहले नहीं थी. अब इस मामले पर अवश्य ध्यान दिया जायेगा और आवश्यक कदम उठाये जायेंगे.
रख-रखाव की जिम्मेदारी से जुड़ी माटिगाड़ा-1 नंबर ग्राम पंचायत के प्रधान हरेन वर्मन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज स्थित सुलभ शौचालय के रख-रखाव की जिम्मेदारी हमने एक गैरसरकारी संस्था को हस्तांतरित की थी. शर्त थी कि शौचालय को साफ-सुथरा बनाये रखने के लिए उपयोगकर्ताओं से एक न्यूनतम शुल्क लिया जायेगा. लेकिन इस तरह दस रुपया और पांच रुपया वसूलना गलत है. इस संबंध में संस्था से साथ बात की जायेगा. आरोप सही पाये जाने पर संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.