श्री बसु ने बताया कि जैविक खेती और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन दिनों का यह मेला लगेगा. मेले के मार्फत लोगों को जहां किसानों के रीति-रिवाज से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा वहीं, धान की विभिन्न किस्मों को भी एक साथ देखने का अवसर प्राप्त होगा. श्री बसु ने बताया कि मेले को तीन हिस्सों में विभक्त किया गया है.
पहला कृषि चौपाल, दूसरा कृषि हाट और तीसरा धान मंडप. कृषि चौपाल में भारत के दिल्ली, पंजाब, असम, सिक्किम व अन्य प्रांतों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, भूटान की भी नामचीन हस्तियां (खेती विशेषज्ञ) रहेंगी और यहां के किसानों के साथ अपना अनुभव साझा करेंगे. साथ ही किसानों को जैविक खेती के मार्फत पैदावर अधिक करने का प्रशिक्षण भी देंगे. कृषि हाट में गांवों और किसानों की संस्कृति की जानकारी लोगों को मिलेगी. वहीं, धान मंडप में धानों के विभिन्न किस्मों का प्रदर्शन किया जायेगा. इसके अलावा ग्रामीणों और किसानों की लोक कलाओं और संस्कृति को नृत्य-संगीतों के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत किया जायेगा. इसके साथ ही फोटोग्राफिक, क्वीज व अन्य प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जायेगा.