जलपाईगुड़ी. जलपाईगुड़ी नगरपालिका इलाके में ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना शुरू तो हुई, लेकिन अब तक काम नहीं हो सका. तूणमूल द्वारा परिचालित नगरपालिका बोर्ड ने अब दोबारा इस परियोजना का डीपीआर तैयार करके राज्य के शहरी विकास प्राधिकरण के पास भेजा है. एक ही परियोजना के लिए दो बार डीपीआर बनाये जाने को लेकर विरोधियों […]
जलपाईगुड़ी. जलपाईगुड़ी नगरपालिका इलाके में ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना शुरू तो हुई, लेकिन अब तक काम नहीं हो सका. तूणमूल द्वारा परिचालित नगरपालिका बोर्ड ने अब दोबारा इस परियोजना का डीपीआर तैयार करके राज्य के शहरी विकास प्राधिकरण के पास भेजा है.
एक ही परियोजना के लिए दो बार डीपीआर बनाये जाने को लेकर विरोधियों ने सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि बिना समुचित योजना के काम किये जाने की वजह से ऐसा हुआ है. वहीं नगरपालिका का दावा है कि ठोस कचरा प्रबंधन के काम में गति लाने के लिए दोबारा डीपीआर जमा किया गया है. साथ ही केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत, कचरे की सफाई के लिए नगरपालिका दो मोबाइल काम्पैक्ट वैन (एमसीवी) लेकर भी आयी है. नगरपालिका सूत्रों ने बताया कि 19 मई को चुनाव आचार संहिता हटने के बाद इन मशीनों को सफाई के काम में लगाया जायेगा.
साल 2000 में जलपाईगुड़ी नगरपालिका के वार्डों में घर-घर से कचरा संग्रह किये जाने का काम शुरू हुआ था. तब नगरपालिका में वाम की सत्ता थी. इसके बाद 2001-02 में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 15 करोड़ रुपये का एक डीपीआर तैयार करके राज्य सरकार के पास भेजा गया जिसे मंजूरी मिल गयी. नगरपालिका के में वाम पार्षद दल के नेता प्रमद मंडल ने बताया कि बाद में नगरपालिका से वाम की सत्ता जाने के बाद नगरपालिका में उस डीपीआर का पैसा आया. वह कहते हैं कि ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर कांग्रेस परिचालित बोर्ड और अभी तृणमूल परिचालित बोर्ड ने जिस तरह बिना किसी योजना के काम किया, उसी का नतीजा है कि यह काम नहीं हो पाया. अब तृणमूल बोर्ड ने नया डीपीआर तैयार कर भेजा है. उन्होंने कहा कि काम नहीं होने पर भी उस परियोजना के नाम पर हर घर से हर महीने पैसा वसूला जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस वसूली गयी रकम का कोई हिसाब भी नहीं दिया जा रहा है.जलपाईगुड़ी नगरपालिका सूत्रों ने बताया कि नगरपालिका के 25 वार्डों में कुल पांच हजार 683 घर हैं. इन घरों से रोज 20-25 मीट्रिक टन कचरा उठाया जाता है.
ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना के तहत इस कचरे से खाद बनायी जानी थी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.नगरपालिका के चेयरमैन इन काउंसिल सदस्य संदीप महतो ने बताया कि ठोस कचरा प्रबंधन के काम में गति लाने के लिए नौ करोड़ का एक डीपीआर बनाकर राज्य के शहरी विकास प्राधिकरण को भेजा गया है.
प्राधिकरण की बैठक में दो महीने पहले शहर की सफाई के लिए दो एमसीवी मशीनों की भी मांग की गयी थी. अब ये मशीनें मिल गयी हैं. एक मशीन का दाम 45 लाख रुपये है. संदीप महतो ने कहा कि इससे शहर बेहतर ढंग से साफ हो सकेगा और मैन पावर भी कम लगेगा. उन्होंने कहा कि जो पुराना डीपीआर तैयार किया गया था वह बहुत खर्चीला था इसलिए नया डीपीआर भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस बारे में विरोधियों के जो भी सवाल हैं उनका नगरपालिका की मासिक बैठक में दे दिया जायेगा.