उन्होंने कहा कि भाजपा के गोरखलैंड का विधेयक सदन में पेश कर देने मात्र से अलग राज्य के गठन की उम्मीद हो जायेगी. यदि भाजपा ने ऐसा किया तो मैं भाजपा का दास बन जाऊंगा. यहां तक कि मेरे नाती-पोता तक भाजपा का दास हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि गोजमुमो का गठन करने में यदि विमल गुरूंग ने 35 प्रतिशत मेहनत की है, तो मैंने 75 प्रतिशत की है. यह बात गोजमुमो का पूरा केंद्रीय नेतृत्व जानता है. उन्होंने यह भी कहा कि मोरचा में रहकर मैंने उसे सुधारने का काफी प्रयास किया था, परंतु ऐसा नहीं हो पाया, इसलिए मैंने परेशान होकर मोरचा छोड़ दिया.
उन्होंने कहा कि मोरचा में रहने का मतलब सिर्फ उसके सर्वोच्च नेता के कहने पर सिर हिलाना भर है. इससे ज्यादा और कुछ नहीं. लेकिन मुझसे ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जिन्दा लोग बोलते हैं, चिल्लाते हैं, इसीलिए मैं चिल्ला रहा हूं, बोल रहा हूं. डॉ छेत्री ने कहा कि मोरचा ने आज तक जितने भी कार्यक्रम किये हैं, सबको अधूरा छोड़ा है. गोरखालैंड को लेकर आमरण अनशन शुरू किया गया. समर्थक अपने नेता की बात सुनकर अनशन पर बैठे. कई की किडनी खराब हो गयी, लेकिन मांग पूरी हुए बिना अनशन उठा लिया गया. इसी तरह पिछले दिनों नेता ने एलान किया कि जब तक गोरखालैंड का गठन नहीं होगा, तब तक पदयात्रा करेंगे. लेकिन केवल 64 दिन बादही पदयात्रा छोड़ दी. उन्होंने कहा कि मोर्चा के आन्दोलन फौज की कदमताल की तरह हैं. केवल कदम उठते हैं, लेकिन आगे नहीं बढ़ते.
डॉ छेत्री ने कहा कि मोरचा को छोड़कर मैं अजाद महसूस कर रहा हूं. पहाड़ के लिए एक सच्चे नेतृत्व की जरूरत है. मैं पहाड़ का उद्धार करने के लिए बुद्धिजीवियों को साथ में रखकर नया दल गठित करने जा रहा हूं, जिसमें आप लोगों का साथ जरूरी है. जनसभा को अमर लामा, डॉ महेन्द्र पी लामा समेत कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.