पिछले दिनों इस वार्ड में एक रोगी की उचित चिकित्सा नहीं होने की वजह से काफी हंगामा भी हुआ था. प्राप्त जानकारी के अनुसार, बच्चों की हित में काम करने वाली संस्था सिनी ने एक 17 वर्षीय किशोरी को बीमार हालत मे बरामद कर चिकित्सा के लिए उसे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती करा दिया था. उसकी चिकित्सा अब्जर्वेशन वार्ड में की जा रही थी. आरोप है कि चिकित्सा में लापरवाही बरती गई जिसकी वजह से शनिवार को किशोरी की हालत बिगड़ गई. इसकी खबर मिलते ही सिलीगुड़ी के कई सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि अस्पताल गये और चिकित्सा में लापरवाही को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उसके बाद डॉक्टरों ने किशोरी की उचित चिकित्सा की.
इस संबंध में सिलीगुड़ी के प्रमुख सामाजिक तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता सोमनाथ चटर्जी का कहना है कि राज्य सरकार अपना प्रचार करने के लिए हर दिन ही अस्पतालों में नये वार्डों का उद्घाटन कर रही है, जबकि इन वार्डों में आवश्यक ढांचागत सुविधाएं नहीं बढ़ायी गई. बगैर किसी ढांचागत सुविधाओं के इन वार्डों को चलाया जा रहा है, जिसकी वजह से रोगियों की चिकित्सा प्रभावित हो रही है. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के अब्जर्वेशन वार्ड में जिस 17 वर्षीय किशोरी को भरती कराया गया था, वह बिहार के कटिहार की रहने वाली है. कुमारी नीतू पंडित उस किशोरी को माटीगाड़ा थाना पुलिस ने पातीकालोनी इलाके से बरामद कर सिनी को सौंप दिया था. वह काफी बीमार थी, इसलिए सिनी ने उसे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल मेें भरती कराया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि वह लोग विरोध प्रदर्शन नहीं करते, तो किशोरी की उचित चिकित्सा नहीं होती. हाई ब्लड शुगर की वजह से उसकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थी. श्री चटर्जी ने कहा कि किसी भी वार्ड में डॉक्टर के अलावा तीन नर्स, एक ग्रुप डी कर्मचारी तथा एक स्वीपर का होना अनिवार्य है. सभी तीन शिफ्टों में यानि 24 घंटे यह कर्मचारी वार्ड में होने चाहिएं. वर्तमान में सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के अब्जर्वेशन वार्ड में नर्स के साथ-साथ ग्रुप डी के कर्मचारी तथा स्वीपर की कमी है. उन्होंने रोगी कल्याण समिति के पुनर्गठन की भी मांग की.
उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव हैं. इस समिति में जिन अन्य सदस्यों को शामिल किया गया है, वह अस्पताल की सुधार तथा रोगी की बेहतर चिकित्सा के लिए किसी प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं बनाते हैं. यह लोग सिर्फ रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन के हां में हां मिलाते हैं. उन्होंने रोगी कल्याण समिति में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की.