उसके बाद टी बोर्ड को इसके लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. यहां उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान अंतर्राष्ट्रीय चाय बाजार में भारतीय चाय की मांग में काफी कमी आयी है. इसका सीधा असर भारतीय चाय के निर्यात पर पड़ा है. केन्या, श्रीलंका, नेपाल आदि जैसे देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चाय को कड़ी चुनौती दे रहे हैं.
भारतीय चाय खास कर दाजिर्लिंग चाय का सबसे बड़ा बाजार रूस, कजाकस्तान, अमेरिका, ईरान तथा मिस्र है. इन देशों में पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारतीय चाय की मांग में कमी आयी है. इसी बात को ध्यान में रखकर ‘ब्रांड इंडिया’ के माध्यम से इन देशों में भारतीय चाय का प्रमोशन किया जायेगा. टी बोर्ड सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, इन देशों में भारतीय चाय के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारतीय चाय की ब्रांडिंग की जायेगी. स्थानीय चाय व्यवसायियों को साथ लेकर भारतीय चाय को बेचने के लिए नेटवर्क का विस्तार किया जायेगा. खासकर पैकेजिंग और गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा. केन्द्र सरकार ने भारतीय चाय की गुणवत्ता सुधारने के लिए अलग से 350 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. इन पैसों से विभिन्न चाय फैक्ट्रियों के आधुनिकीकरण करने का निर्णय लिया गया है. ग्रीन टी तथा आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन पर विशेष जोर दिया जायेगा.