चिंता : अपनों को लेकर फिक्रमंद मालदा के कश्मीरी व्यवसायी
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फोन व इंटरनेट सेवा ठप रहने से परिजनों से नहीं हो पा रहा संपर्क
चिंता : अपनों को लेकर फिक्रमंद मालदा के कश्मीरी व्यवसायी बकरीद के मौके पर परवेज अहमद व अब्दुल जलिल कट को सता रही अपने लोगों की फिक्र मालदा :ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के मौके पर मालदा शहर में रह रहे कुछ कश्मीरी परिवार कश्मीर में रह रहे अपने परिजनों के लिये फिक्रमंद हैं. चूंकि फिलहाल जम्मू-कश्मीर […]
बकरीद के मौके पर परवेज अहमद व अब्दुल जलिल कट को सता रही अपने लोगों की फिक्र
मालदा :ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के मौके पर मालदा शहर में रह रहे कुछ कश्मीरी परिवार कश्मीर में रह रहे अपने परिजनों के लिये फिक्रमंद हैं. चूंकि फिलहाल जम्मू-कश्मीर के हालात को देखते हुए वहां प्रशासन ने इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवा को बंद कर दिया है. इससे इनका संपर्क अपने माता-पिता और भाई बहनों से नहीं हो पा रहा है. उल्लेखनीय है कि मालदा शहर में बहुत पहले से कुछ कश्मीरी व्यवसायी परिवार सहित रह रहे हैं.
हालांकि इनके माता पिता और अन्य रिश्तेदार आज भी कश्मीर में इनका बेसब्री से इंतजार करते हैं. इन्हीं परिवारों में शामिल हैं श्रीनगर के निवासी परवेज अहमद लोन (42). वर्ष 1998 में वे पहली बार अपने दोस्तों के साथ कश्मीरी शॉल बिक्री करने के लिये मालदा आये थे. लेकिन उसके बाद से वे यहीं बस गये. रवींद्र एवेन्यू में एक कमरा किराये पर लेकर ये कपड़ों का कारोबार करते हैं. इन्होंने मालदा की ही एक लड़की से विवाह कर लिया. इनके दो बेटे हैं. बड़ा बेटा रियान कश्मीर में ही रहकर पढ़ाई करता है.
परवेज ने बताया कि श्रीनगर में उनके 68 साल के पिता मोहम्मद यासमीन लोन रहते हैं जो ब्रेन ट्यूमर के मरीज हैं. टेलीफोन और इंटरनेट सेवा ठप रहने से उनका हालचाल नहीं जान पा रहे हैं. उनके लिये वे बेहद फिक्रमंद हैं. पिता के साथ उनका छोटा बेटा भी रहता है जो पांचवीं में पढ़ता है. पिता के लिये जरूरी 10 हजार रुपये भी वह नहीं भेज पा रहे हैं.
खुद को नेशनल कांफ्रेंस का समर्थक बताते हुए उन्होंने कहा कि धारा-370 समाप्त करने से कश्मीर में बुनियादी तब्दीली आ रही है. अब विभिन्न राज्यों से लोग धरती के स्वर्ग जा सकेंगे. लेकिन इससे कश्मीर की निजी संस्कृति खतरे में पड़ जायेगी. हालांकि वे बंगाल की कानून-व्यवस्था से बेहद संतुष्ट हैं. कहते हैं कि अगर कश्मीर धरती का स्वर्ग है तो बंगाल शांति का स्वर्ग.
रवींद्र एवेन्यू में एक और कश्मीरी युवक अब्दुल जलिल बट भी रहते हैं. वे भी श्रीनगर के लालबाजार स्थित घर में अपने माता पिता को छोड़कर जन्मभूमि से इतनी दूर यहां रह रहे हैं. ये भी 1994 में कपड़ों के व्यवसाय के सिलसिले में मालदा आये तो यहीं बस गये. मालदा शहर के राजमहल रोड पर वे अपनी पत्नी आरमिन अली और पुत्र रुमान के साथ रहते हैं.
अपने माता पिता और बड़े भाई के परिवार के लिये चिंतित हैं. हालात सुधरने पर इनका विचार कश्मीर जाकर उनसे मिलने का है. इनका भी मानना है कि बंगाल के लोगों में बाहरी लोगों को अपना बना लेने की गजब की क्षमता है. अब्दुल जलिल बट का कहना है कि बंगाल के लोग रुचिसंपन्न और उदार हैं.
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