रायगंज :इन दिनों तमाम बाजारों में प्लास्टिक के सामानों की बिक्री बढ़ने से बांस उद्योग संकट में आ गया है. बांस से बने सामानों की कीमत तो ज्यादा नहीं मिलती है लेकिन अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए चोपड़ा के बांस कारिगरों ने लड़ाई जारी रखा है. उल्लेखनीय है कि बांस की टोकरी, सूप, पंखा, डलिया आदि हर घर में इस्तेमाल में आते है.
इन सामग्रियों को बनाकर बांस कारीगर विभिन्न हाटों में अच्छी कीमत पर बेचा जाता था. लेकिन वर्तमान में बाजारों में रंग विरंगी टोकरियां, सूप व डलिया आने लगे है. ये देखने में सुंदर व काफी टिकाउ भी होते है. इस कारण से बांस की सामग्री के बाजार में मंदी आ गयी है. इस बारे में चोपड़ा ब्लॉक के उदराइल गांव में बांस के कारीगर रसिक राय, प्रदीप राय, वासंती राय ने बताया कि बांस की कीमत बढ़ गयी है. साथ ही सामान बनाने में पूरे दिन का समय भी लगता है. इस तरह से मजदूरी मिलाकर बांस से बने सामान की कीमत बढ़ जाती है. वहीं इसके स्थान पर प्लास्टिक व फाइबर के सामान को लोग ज्यादा पसंद कर रहे है.
इसलिए उन्होंने घर परिवार चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है. सिर्फ पूराने पेशे को बचाये रखने लिए यह लोग बांस का काम कर रहे हैं. उन लोगों ने इस काम के लिए सरकारी सहयोग की गुहार लगायी है. उनलोगों का कहना है कि पुराने बांस उद्योग को बचाये रखने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए. वरना जल्द ही यह पेशा विलुप्त हो जायेगा. साथ ही बांस के कारीगर एक एक कर बेरोजगार होते जा रहे हैं.