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राष्ट्री राजमार्ग 10 की हालत नाजुक, वैकल्पिक मार्ग की मांग

कालिम्पोंग : सिक्किम एवं कालिम्पोंग जिले की जीवन रेखा राष्ट्रीय राजमार्ग 10 के बाघपुल से तीस्ता तक के 24 किलोमीटर रास्ता एनएचपीसी के दो प्रोजेक्ट एरिया में पड़ता है. राजमार्ग 52 किलोमीटर का लंबा है जो बंगाल में पड़ता है. ऐसे में 24 किलोमीटर सड़क का करीब 20 किलोमीटर तक भूस्खलन एवं सड़क दबने की […]

कालिम्पोंग : सिक्किम एवं कालिम्पोंग जिले की जीवन रेखा राष्ट्रीय राजमार्ग 10 के बाघपुल से तीस्ता तक के 24 किलोमीटर रास्ता एनएचपीसी के दो प्रोजेक्ट एरिया में पड़ता है. राजमार्ग 52 किलोमीटर का लंबा है जो बंगाल में पड़ता है. ऐसे में 24 किलोमीटर सड़क का करीब 20 किलोमीटर तक भूस्खलन एवं सड़क दबने की समस्या हर मॉनसून में आता है.

वहीं तीस्ता से रंग्पो तक का रास्ता सुचारू रूप से चलता रहता है. इसी कारण राजमार्ग की हालत के लिए इलाके के लोग व चालक जल विद्युत परियोजना की जिम्मेवार मानते हैं. आज से दो दशक पहले राजमार्ग के लिखुवीर में सबसे ज़्यादा भूस्खलन आता था.
परंतु हाल के दिनों में बाघपुल से लेकर तीस्ता के 28 किलोमीटर इलाके का आधा भाग भूस्खलन क्षेत्र बन गया है. राजमार्ग तीस्ता के साथ सतह से जुड़ा है. जितना राजमार्ग बागपुल से तीस्ता पुल से तीस्ता नदी जुड़ा है.
उससे कहीं ज़्यादा चित्रे से मल्ली होते हुए रोम्पु सीमा में नदी जुड़ा है. परन्तु परियोजना के तहत पड़ने वाले बाघपुल से तीस्ता पुल तक का अधिकतर इलाका जो नदी के साथ सटा है, वहां इसी मॉनसून में ज़्यादा आफत आता है. राजमार्ग के ख़राब होने की ज़िम्मेवारी कोई लेने को तैयार ही नहीं होता है.
राजमार्ग की देखरेख करने वाले पीडब्लूडी विभाग का कहना है कि पूरे साल पानी जमा रहता है तब कोई असर नहीं होता, लेकिन जब मॉनसून आता है एवं पानी को नीचे एवं ऊपर करने का कार्य जैसे ही परियोजना शुरू करता है. वैसे ही नीचे से सड़क या तो दबने लगता है या फिर तीस्ता में समा जाता है.
पीडब्लूडी की ओर से राजमार्ग संभालने के बाद सड़क किनारे नाले बनाने का काम शुरू तो किया था, जिसके बाद उसको देखरेख करने में विभाग पीछे रहा. कुछ ही पहले ही गेलखोला से 29 माइल के बीच पड़ने वाले एक जगह में राजमार्ग का एक हिस्सा नदी के तह से सड़क तक तीस्ता नदी में समा गया.
ग्रेफ के समय कार्यरत एक अधिकारी ने सीधे एनएचपीसी के पानी लेवल के कारण राजमार्ग ख़राब होने की बात कही. 2012 से 2015 तक ग्रेफ के उक्त अधिकारी राजमार्ग तब के राजमार्ग 31 ए एवं अब राजमार्ग 10 की देखरेख करते थे.
उस दौरान प्रोजेक्ट इलाके में सड़क धंसने के बाद एनएचपीसी सहयोग कर तीस्ता से सतह से दीवार उठाने में न सिर्फ मदद करता था बल्कि काम करने के लिए मजदूर तक देता था. परन्तु पीडब्ल्यूडी आने के बाद से तालमेल बंद है. राजमार्ग में एक दिन में करीब आठ हजार गाड़ियां चलती है. जिसमे लगभग 30 से 40 हजार यात्री रोजाना आवागमन करते हैं. पर्यटन के मौसम में ये अकड़ा ज़्यादा हो जाता है.
ऐसे में कभी पहाड़ों से तो कभी नदी की सतह से राजमार्ग लगातार रूप से क्षतिग्रस्त हो रहा है. ग्रेफ के उक्त अधिकारी का कहना है कि बारिश का मौसम ख़त्म होने के साथ जब जलस्तर में कमी आ जाता है तो एनएचपीसी राजमार्ग के पास नदी के अपने पानी के लेवल तक सुरक्षा दीवार बना लेते हैं तो समस्या काफी हद तक ठीक होने की बात कही.
वहीं पर्यावरण पर काम करने वाले सेव दी हिल्स के अध्यक्ष प्रफुल राव ने कहा कि जल स्तर के बढ़ने या गिरने से नदी के किनारों का कटाव अच्छी तरह से जाना जाता है. नदी के पास सुरक्षा नहीं होने के कारण कटाव हो रहा है.
उक्त समस्या को लेकर विभाग के कार्यकारी अभियंता एके माइती ने सीधे एनएचपीसी से कहा कि मॉनसून में ही पानी का जलस्तर ज़्यादा होने के बाद जब एनएचपीसी हाल में पानी डैम से एक बार में छोड़ देता है.
उसके कारण ही रोड या तो दब रहा है तो या फिर राजमार्ग 29 माइल के पास सड़क तीस्ता में समा गया. उन्होंने कहा कि सड़क परियोजना में टूटने के कारण एनएचपीसी कभी भी पीडब्लूडी का सहयोग नहीं करता है. उन्होंने कहा कि कभी भी एनएचपीसी जलस्तर घटाने के पक्ष में नहीं रहा है.
वहीं एनएचईपीसी के केंद्रीय एजेंसी होने एवं यहां से उत्पादित बिजली राज्य सरकार को पहुंचाने के कारण उच्चस्तर से आदेश आने के बाद एनएचईपीसी नदी का जलस्तर कम कर सकता है. दोनों के बीच इस बार राजमार्ग और बुरे दौर से गुजरने का हालत अभी साफ़ दिख रहा है. राजमार्ग निवासी मीना शेर्पा ने पर कहा कि काफी पहले तीस्ता नदी दूर दिखती थी. 1968 के बाढ़ के बाद नदी कुछ ऊपर आ गया.
अब नदी में दो-दो बांध बनने के बाद नदी को जैसे आंगन में ही आ गया. जिसके कारण गांववाले प्रभावित हो गए हैं. राजमार्ग 10 का भविष्य सोचनीय रहने की बात बताते हुए उन्होंने तीस्ता नदी पर परियोजना खड़ा करने से पहले वैकल्पिक रास्ता निर्माण करने पर जोर दिया.
राजमार्ग 10 से सफर करने वाले सिक्किम के सांसद इन्द्राहांग सुब्बा ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार से वैकल्पिक सड़क निर्माण जल्द पूरा करने की मांग की. एनएचपीसी टीएलडीपी चरण तीन के एक अधिकारी के अनुसार हाइवे में नाली की व्यवस्था ठीक नहीं होने कारण ही रास्ता टूटने व दबने का आरोप लगाया है. अधिकारी के अनुसार एनएचपीसी ने जहां-जहां सुरक्षा दीवार उठाया है. वहां सड़क अच्छा है.

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