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नागराकाटा : बागानों में चायपत्ती तोड़ने के काम पर लगा प्रतिबंध, फैक्ट्रियों में भी उत्पादन पर रोक
नागराकाटा : भारतीय चाय बोर्ड के निर्देश के मुताबिक रविवार से उत्तर बंगाल के सभी चाय बागानों में चायपत्ती तोड़ने और उत्पादन का काम पूरी तरह बंद कर दिया गया. इसके मुताबिक चाय बोर्ड के नये निर्देश के आने तक चाय उत्पादन को बंद रखा गया है. इसके अनुसार सूखे मौसम में शनिवार को चाय […]
नागराकाटा : भारतीय चाय बोर्ड के निर्देश के मुताबिक रविवार से उत्तर बंगाल के सभी चाय बागानों में चायपत्ती तोड़ने और उत्पादन का काम पूरी तरह बंद कर दिया गया. इसके मुताबिक चाय बोर्ड के नये निर्देश के आने तक चाय उत्पादन को बंद रखा गया है.
इसके अनुसार सूखे मौसम में शनिवार को चाय उत्पादन का आखिरी दिन था. वैसे भी शनिवार को बागानों में आधी छुट्टी रहती है. उल्लेखनीय है कि सूखे मौसम में उत्पादित चाय को स्थानीय बोली में ‘ बांजीपाता ‘ के नाम से जाना जाता है.
इस तरह की चायपत्ती की गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है. इसीलिये चाय बोर्ड ने इस मौसम में चायपत्ती के उत्पादन पर रोक लगा दी है. सूत्र के अनुसार चाय बागानों और बॉट लीफ फैक्ट्रियों (बीएलएफ) ने इसे आज से लागू भी कर दिया है. वहीं, बीएलएफ में आखिरी दिन 16 अक्टूबर को निर्धारित कर दिया गया था.
इन्हें अपने यहां उत्पादन करने की जानकारी बोर्ड को 17 दिसंबर तक दे देनी है. टी बोर्ड के सूत्र के अनुसार चूंकि अधिकतर चाय बागानों में रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहता है इसलिये शनिवार को ही उत्पादन बंद कर दिया गया. कुछ ही बागानों में इस रोज काम हुआ. निगरानी के लिये शनिवार से ही टी बोर्ड के अधिकारी चाय-वलय पर नजर रख रहे हैं.
टी बोर्ड के सूत्र ने बताया कि बोर्ड ने कच्ची चायपत्ती के उत्पादन को बंद रखने के अलावा इस मौसम में उत्पादित चायपत्ती को बाजार में भेजने के लिये भी तारीख निश्चित कर दी गयी है.
सीटीसी चाय के लिये 27 दिसंबर और पारंपरिक या हरी चायपत्ती के लिये 31 दिसंबर दिन निर्धारित किया गया है. इस बीच चाय बागानों के कई संगठनों ने हरी चायपत्ती के मामले में तकनीकी पक्ष को देखते हुए चायपत्ती की बिक्री की तय समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है.
इस संबंध में 14 दिसंबर को जारी निर्देशिका में कहा गया है कि ग्रीन टी की शॉर्टिंग और पैकिंग के विषय को केस-टू-केस विचार किया जायेगा. इस बारे में गुवाहाटी स्थित टी बोर्ड के कार्यकारी निदेशक और जलपाईगुड़ी एवं सिलीगुड़ी के उप निदेशकों को अवगत कराया गया है.
टी बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार सूखा मौसम में उत्पादित चाय का चाय उद्योग की शब्दावली में बांजीपाता कहा जाता है. वर्ष 2011 के फुट सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेगुलेशन एक्ट के अनुसार इस तरह की चायपत्ती निम्न स्तर की होती है जिनका देशीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम कद्र है.
इससे विदेशों में भारतीय चाय की छवि धूमिल होती है. जाड़े के मौसम में चाय के पौधे सुप्तावस्था में होते हैं. बोर्ड के सिलीगुड़ी जोनल उप निदेशक रामेश्वर कुजूर ने बताया कि चाय उद्योग के हित में ही यह कदम उठाया गया है.
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया टाई की डुवार्स शाखा के सचिव राम अवतार शर्मा ने बताया कि हमने पहले भी चाय बोर्ड के इस फैसले का स्वागत किया है. बागान निर्देश का अनुपालन कर रहे हैं. वहीं, बीएलएफ कारखानों के संगठन के पक्ष से सतीश मित्रुका ने बताया कि 160 बीएलएफ को बंद कर दिया गया है. उम्मीद है कि सरस्वती पूजा के पहले बोर्ड चाय उत्पादन की अनुमति दे देगा.
बंद मधु चाय बागान में गर्म कपड़े का वितरण
कालचीनी : रविवार को कालचीनी ब्लॉक के बंद पड़े मधु चाय बागान के सभी श्रमिक परिवारों को जोड़ाई मोड़ यूथ नामक एक संगठन की ओर से गर्म कपड़े प्रदान किये गये.
संगठन की ओर से मधु चाय बागान श्रमिक परिवारों के बीच लगभग 600 सदस्यों को गर्म कपड़ा दिया गया. यह जानकारी देते हुए संगठन की ओर से शुभोजीत चंद ने बताया कि आज बागान के निवासियों को भोजन भी कराया गया.
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