गंगतोक : एनआईआरएफ रैंकिंग में भारत के आठ सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल अमृता विश्व विद्यापीठम ने एक विशेष प्रणाली की मदद से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बचाने के लिए अभियान चलाया है.
इस अभियान के तहत लगाई जाने वाली प्रणाली भूस्खलन की अग्रिम चेतावनी देती है, ताकि लोगों को आपदा से पहले सुरक्षित रूप से उस स्थान से हटा दिया जा सके. केरल के पश्चिमी घाटों में भारत की पहली ऐसी प्रणाली को सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद अब सिक्किम-दार्जिलिंग बेल्ट में बारिश से प्रेरित भूस्खलन की समय पर चेतावनी देने वाली दूसरी प्रणाली सिक्किम में भी स्थापित की जा रही है.
विश्वविद्यालय में भूस्खलन अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली अमृता विश्व विद्यापीठम के सेंटर फॉर वायरलेस नेटवर्क्स एंड एप्लीकेशन्स की निदेशक डॉ. मनीषा सुधीर ने कहा कि भूस्खलन पृथ्वी पर तीसरी सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है. जिसके कारण दुनिया भर में हर साल 300 से अधिक लोगों की मौत हो रही है. भारत में घातक भूस्खलन की संख्या अन्य देशों की तुलना में अधिक है.
उत्तर पूर्व हिमालय में सिक्किम-दार्जिलिंग बेल्ट में भूस्खलन का सबसे अधिक खतरा है. यही कारण है कि भूस्खलन पहचान प्रणाली को स्थापित करने के लिए इस क्षेत्र को चुना है.अमृता विश्वविद्यापीठम के उप कुलपति डॉ. वेंकट रंगन ने कहा कि हमारी कुलपति श्रीमाता अमृतानंदमयी देवीके प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में, अमृता विश्व विद्यापीठम ने मानव जीवन को बचाने के महान उद्देश्य के साथ 2009 में केरल के मुन्नार जिले में एक अद्वितीय प्रणाली तैनात की थी. यह प्रणाली भूस्खलन के लिए इस क्षेत्र की सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है और आज तक कई सफल चेतावनियां जारी कर चुकी है.
इस सफलतासे प्रेरित होकर भारत सरकार ने सिक्किम-दार्जिलिंग क्षेत्र के लिए एक समान प्रणाली विकसित करने के लिए अमृता से संपर्क किया जो भूगर्भीय रूप से बहुत सक्रिय है और वर्षा-प्रेरित भूस्खलन के प्रति संवेदनशील है. उसके बाद, हमने सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से इस नई प्रणाली को तैनात किया है.
