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गुरुंग के समर्थन में लगे पोस्टर, पुलिस और प्रशासन की उड़ी नींद

सिलीगुड़ी : अलग राज्य गोरखालैंड आंदोलन के इतिहास में बीते वर्ष 104 दिन के बंद के ठीक एक साल बाद फिर आंदोलन की आग सुगबुगाने लगी है. पहाड़ पर बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टर बाजी शुरू हो गयी है. दार्जिलिंग, कालिम्पोंग के साथ सिलीगुड़ी के आसपास सुकना में भी बिमल गुरुंग के समर्थन में […]

सिलीगुड़ी : अलग राज्य गोरखालैंड आंदोलन के इतिहास में बीते वर्ष 104 दिन के बंद के ठीक एक साल बाद फिर आंदोलन की आग सुगबुगाने लगी है. पहाड़ पर बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टर बाजी शुरू हो गयी है. दार्जिलिंग, कालिम्पोंग के साथ सिलीगुड़ी के आसपास सुकना में भी बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टर लगाये गये हैं.
बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टरबाजी से राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के साथ राजनीतिक हलकों में भी खलबली मच गयी है. बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टरबाजी की रिपोर्ट खुफिया तंत्र ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है.
पिछले वर्ष जून महीने में भाषाई विवाद को लेकर पहाड़ पर आंदोलन शुरू हुआ था. बाद में गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरुंग ने इस आंदोलन का रुख अलग राज्य गोरखालैंड की तरफ मोड़ दिया. अलग राज्य की मांग पर गोरखालैंड आंदोलन के इतिहास में सबसे अधिक 104 दिन तक पहाड़ बंद रहा. कई हिंसक घटनाएं भी हुई. कई आंदोलनकारी मारे गये. वहीं दार्जिलिंग सदर थाने में तैनात एसआइ अमिताभ मालिक भी शहीद हुए.
बिमल गुरुंग का दाहिना हाथ कहे जाने वाले विनय तमांग को फोड़कर सरकार ने धीरे-धीरे इस आंदोलन को शांत कराया. लेकिन सूत्रों की मानें तो पहाड़वासियों ने पुलिस के भय से आग को सीने में दबाये रखा जो एक साल बाद फिर से उबलने लगा है. इस आंदोलन को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सरकार ने काफी प्रयास किया है.
विनय तमांग और अनित थापा को गोरख क्षेत्रीय प्रशासन की बागडोर सौंप दिया. आंदोलन के बाद से जीएनएलएफ की बढ़ती शक्ति को देखकर सरकार ने जीएनएलएफ प्रमुख मन घीषिंग को सत्ता का सुख देने के लिए हिल एरिया डेवलपमेंट कमेटी की निगरानी कमेटी के चेयरमैन बनाने के साथ राज्य मंत्री का भी दर्जा दिया.
लेकिन सरकार की इस दरियादिली के पीछे की मंशा जानने के बाद मन घीषिंग ने पद से इस्तीफा दे दिया. बिमल गुरुंग को के खिलाफ सरकार ने लुक आउट नोटिस भी जारी किया था. लेकिन बिमल गुरुंग किसी गुमनाम स्थान से ऑडियो व वीडियो जारी कर अपना अस्तित्व संजोय रखा है. हाल ही में शहीद दिवस के दिन बिमल गुरुंग ने एक भावनात्मक वीडियो जारी कर आंदोलन में शहीद लोगों के सम्मान में दिया जलाने का आह्वान किया था.
माना जा रहा है कि आंदोलन की आग लोगों के दिलों में सुलगाने में यह वीडियो ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके बाद हालात को बदलते देखकर विनय तमांग व अनित थापा ने जनसभा का दौर फिर से शुरू किया है. सोमवार को दार्जिलिंग के केंद्रीय कार्यालय में कमेटी की बैठक भी की गयी. जबकि दार्जिलिंग सहित तराई व डुआर्स में बिमल गुरुंग के समर्थन में पोस्टरबाजी से विनय गुट में भी खलबली मची है.
सरकार की मंशा पर शक
पहाड़ के लोगों के दिल में बसने व अपना जनाधार बढ़ाने के लिए सरकार ने पहाड़ पर परजा पट्टा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू करायी. लेकिन पट्टा के लिए सरकार की शर्तों को सुनकर पहाड़ के लोगों में रोष बढ़ने लगा है. शर्तों के मुताबिक पट्टा मुहैया कराने के दिन से लाभार्थी वहां के निवासी घोषित किये जायेंगे. पहाड़ के बुद्धिजीवियों का मानना है कि पट्टा देकर सरकार लोगों के पुराने अस्तित्व को समाप्त करना चाहती है. जिससे अलग राज्य की मांग के आधार को ही कानूनन समाप्त करने की साजिश रचाने की आशंका जतायी जा रही है.

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