मयनागुड़ी : गोरुमारा नेशनल पार्क में गैंडों की तादाद हाल-फिलहाल बढ़ी है. खासतौर पर प्रजनन के चलते इनकी संख्या 50 से ऊपर है. लेकिन सही आंकड़ा वन विभाग नहीं दे पा रहा है. इसीलिए गैंडों की गणना इस साल के आखिर तक शुरु किये जाने की बात वन विभाग के सूत्रों ने दी है.
गैंडों की संख्या बढ़ने से इनकी सुरक्षा का सवाल भी सामने आ गया है. हाल ही में गोरुमारा अभयारण्य में कई संदिग्ध लोगों को नियमित रूप से टहलते हुए देखा गया है. असम नंबर की एक गाड़ी भी उस दौरान देखी गई. उसके बाद से क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी गई है. जिन इलाकों से शिकारी प्रवेश कर सकते हैं, वहां वाचटावर बनाये गये हैं.
उल्लेखनीय है कि आखिरी बार मार्च 2015 में गैंडों की गणना की गई थी. उस समय गोरुमारा अभयारण्य में 53 गैंडे मिले थे. उसके बाद 2017 में गैंडों की गणना शुरु किये जाने की बात थी, लेकिन 2017 बीत गया लेकिन गणना शुरु नहीं हो पायी. इस बीच, अप्रैल 2017 में गोरुमारा में शिकारियों ने दो गैंडों की जान ले ली. इसके अलावा पिछले तीन साल में उम्र और इलाका दखल की लड़ाई में दो और गैंडों की मौत हो गई. वहीं वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक इन तीन सालों में गैंडों ने तीन सावकों को भी जन्म दिया है. इससे अनुमान किया जाता है कि गैंडों की संख्या 50 से ऊपर है.
क्या कहते हैं मुख्य वनपाल
उत्तर बंगाल वन्य प्राणी डिवीजन के मुख्य वनपाल उज्जवल घोष ने बताया कि चालू वर्ष के दिसंबर से गैंडों की गणना शुरू हो सकती है. वहीं गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ निशा गोस्वामी ने बताया कि वनकर्मियों ने गश्त के दौरान कई सावकों को देखा है. इनके अलावा कई युवा गैंडे भी देखे गये हैं. वहीं नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वनाधिकारी ने बताया कि वन विभाग के पास जरूरत के हिसाब से कम कर्मचारी होने से निगरानी में कमी रह जाती है. हालांकि वे अपनी तरफ से सतर्कता बरतने की पुरजोर कोशिश करते हैं. उधर, वनमंत्री विनय कृष्ण बर्मन ने बताया कि गोरुमारा नेशनल पार्क के वन्य प्राणी सुरक्षित हैं. फिलहाल इन पर कोई खतरा नहीं है.
