इन किसानों का कहना है कि सत्ता पक्ष के नेता-मंत्री ने कहा था कि यहां से उत्पादित टमाटर, हरी मिर्च, खीरा के लिए प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जायेगी. इससे किसानों को अपनी उपज औने-पौने दर में बेचना नहीं पड़ेगा. लेकिन हकीकत में यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. वहीं एसजेडीए का कहना है कि तीन बार टेंडर आमंत्रित किये जाने के बावजूद किसी भी उद्यमी ने उद्यम स्थापना को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखायी है.
एसजेडीए के चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती ने बताया कि घुघुडांगा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिये तीन तीन बार टेंडर आमंत्रित किया गया. लेकिन किसी ने इसके लिये आग्रह नहीं दिखाया. इसीलिए वहां मल्टीपर्पस प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है. राज्य सरकार इसके प्रति गंभीर है. वहीं, क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि हल्दीबाड़ी और जलपाईगुड़ी के विस्तीर्ण कृषि क्षेत्र में हर साल कई बीघों में टमाटर, हरी मिर्च की फसल उगाई जाती है. लेकिन किसानों को उनकी फसलों की उचित कीमत नहीं मिलती है. इसी लिए उन्हें बिचौलियों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है. हालांकि उन्हें इन फसलों की लागत तक नहीं निकल पाती. इसी के चलते सरकार वहां फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करवाना चाहती थी. लेकिन उद्यमियों की उदासीनता के चलते अब सरकार को नये सिरे से इस औद्योगिक केंद्र को विकसित करने पर विचार करना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि फूड प्रोसेसिंग यूनिटों के मद्दनेजर ही एसजेडीए ने 15 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर घुघुडांगा में बुनियादी ढांचा खड़ा किया है. इसके लिए एप्रोच रोड, कल्वर्ट वगैरह बनाये गये हैं.इस संबंध में जलपाईगुड़ी से पूर्व विधायक और फॉरवर्ड ब्लॉक के वरिष्ठ नेता गोविंद राय ने कहा कि एसजेडीए ने करोड़ों रुपए खर्च किये लेकिन उससे किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ. राज्य सरकार ने किसानों को सपने दिखाये, लेकिन वह सपना साकार नहीं हुआ.