इस बार जो लोग दुकान लगाये हैं, वे खानदानी विरासत से मिले इस व्यवसाय को चलाने की मजबूरी के तहत दुकान लगाये हैं. पिछले साल के मुकाबले इस बार दुकानों की संख्या काफी कम है. पिछले साल जहां तकरीबन सौ के करीब स्टॉल लगे थे, वहीं इस बार महज 44 स्टाल ही लगे हैं. इसकी वजह बताते हुए एसोसिएशन के सचिव चितरंजन माइती ने कहा कि मेला लगाने का खर्च बढ़ता जा रहा है. खर्च के मुकाबले आमदनी कम हो रही है, लिहाजा लोगों की रुचि भी कम हो रही है.
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दीपावली: महंगा किराये और जीएसटी से प्रभावित हो रहे हैं व्यापारी, सजधज कर तैयार बाजी बाजार
कोलकाता: बड़ाबाजार फायर वर्क्स डीलर्स एसोसिएशन की तरफ से शहीद मीनार में लगनेवाले बाजी (पटाखा) बाजार पूरी तरह सज धज कर तैयार हो गया है. मेले में लगी दुकानों पर चहल पहल भी शुरू हो गयी है. ग्राहकों का आना और पटाखा खरीदने का सिलसिला भी शुरू हो गया है, लेकिन दुकानदारों के चेहरों पर […]
कोलकाता: बड़ाबाजार फायर वर्क्स डीलर्स एसोसिएशन की तरफ से शहीद मीनार में लगनेवाले बाजी (पटाखा) बाजार पूरी तरह सज धज कर तैयार हो गया है. मेले में लगी दुकानों पर चहल पहल भी शुरू हो गयी है. ग्राहकों का आना और पटाखा खरीदने का सिलसिला भी शुरू हो गया है, लेकिन दुकानदारों के चेहरों पर अब पहलेवाली रौनक नहीं दिख रही है.
उन्होंने कहा कि 1995 से शहीद मीनार में बाजीबाजार शुरू हुआ था. प्रशासन ने कैनिंग स्ट्रीट , हेयर स्ट्रीट और बड़ाबाजार के पटाखा व्यापारियों को लेकर लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए यहां पर मेले की शुरुआत करवाई. तब से आज तक यहां मेले का आयोजन हो रहा है. लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या इस मैदान के किराये को लेकर हो रही है. यह मैदान सेना का है. लिहाजा हमें सेना को किराया देना पड़ता है. पहले हम प्रतिदिन 250 रुपये की दर से किराया देते थे. इसे आम किराया कहा जाता है. यह दर किसी सामाजिक और धार्मिक कार्यों के लिए दिया जाता है, जिसमें लोगों की सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा रहता है. हमलोग साल 2008 तक जनरल किराया ही देते थे. लेकिन इसके बाद से हमारा किराया काॅमर्शियल कर दिया गया. जिसकी वजह से एक ही झटके में हमारे ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ गया. इससे दुकानदारों की संख्या घटने लगी. इस बार हम लोगों को नौ लाख रुपये देना पड़ेगा. जबकि स्टाॅल महज 44 हैं. इसके अलावा डेकोरेटर, सीइएससी, फायर ब्रिगेड, कोलकाता नगर निगम, पुलिस तमाम संस्थाएं हैं, जिनकी अनुमति लेनी पड़ती है. ऐसे में दुकानदारों पर आर्थिक बोझ बढ़ना स्वाभाविक है. अगर सरकार पहल करे और हमसे जनरल किराया वसूले, तो बाजी बाजार की रौनक वापस लौट आयेगी. हमलोग सुरक्षा के सभी मानकों का ध्यान रखते हैं. फायर ब्रिगेड़ की दो गाड़ी हमेशा तैनात रहती है. एक साथ कई गेट बनाये गये हैं, ताकि किसी भी दुर्घटना के वक्त लोग आसानी से बाहर निकल सकें.
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मोहम्मद नदीम ने बताया कि एक तरफ तो किराया और दूसरी तरफ जीएसटी दोनों के बीच फीकी हो रही है बाजी बाजार की रौनक, क्योंकि आतिशबाजी पर 28 फीसदी जीएसटी लग रहा है. ऐसे में जो लोग पहले बड़ी संख्या में यहां आते थे, वे तो आयेंगे, लेकिन पटाखों की कीमत देखकर पहले के मुकाबले कम खरीदेंगे. इसके अलावा पटाखों के खिलाफ चल रही मुहिम के कारण लोगों की रुचि भी कम हो रही है. फिलहाल यहां वही लोग स्टाल लगा रहे हैं, जो पीढ़ियों से इस पेशे में हैं और उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
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