सिलीगुड़ी: सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने एवं अधिक से अधिक कर्मचारियों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सीमा सुरक्षा बल के उत्तर बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय, कदमतला एवं सभी अधीनस्थ वाहिनियों/सेक्टरों में एक से 15 सितंबर तक हिंदी पखवाड़ा का आयोजन किया गया. इस दौरान फ्रंटियर मुख्यालय एवं सभी […]
सिलीगुड़ी: सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने एवं अधिक से अधिक कर्मचारियों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सीमा सुरक्षा बल के उत्तर बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय, कदमतला एवं सभी अधीनस्थ वाहिनियों/सेक्टरों में एक से 15 सितंबर तक हिंदी पखवाड़ा का आयोजन किया गया.
इस दौरान फ्रंटियर मुख्यालय एवं सभी सेक्टर/वाहिनियों में बल के सदस्यों द्वारा अधिकतर सरकारी कामकाज राजभाषा हिंदी में किया गया. गत आठ सितंबर को फ्रंटियर मुख्यालय में हिंदी निबंध लेखन, नोटिंग/ड्राफ्टिंग, हिंदी टंकण एवं हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया.
हिंदी पखवाड़े के दौरान फ्रंटियर मुख्यालय कदमतला द्वारा सभी अधीनस्थ सेक्टरों सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, रायगंज, 2016-1किशनगंज द्वारा वर्ष 2016-17 के दौरान राजभाषा हिंदी में किये गये कार्यों का मूल्यांकन किया गया. राजभाषा में सबसे ज्यादा सरकारी कामकाज किये जाने पर सेक्टर मुख्यालय सिलीगुड़ी (राधाबाड़ी) को अंतरसेक्टर राजभाषा शील्ड 2017 कदमतला परिसर में गुरुवार को हिन्दी दिवस समारोह में प्रदान की गयी. समारोह की अध्यक्षता करते हुए एसके त्यागी, उप महानिरीक्षक/ प्रधान स्टाफ अधिकारी (पीएसओ) द्वारा हिंदी पखवाड़े के दौरान आयोजित की गई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त करने वाले कार्मिकों के नाम की घोषणा करते हुए उन्हें महानिरीक्षक सीसुब उत्तर बंगाल की तरफ से ट्राफियां प्रदान की.
समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल का कार्य देश की विभिन्न सीमा क्षेत्रों एवं बल में देश के सभी क्षेत्रों के निवासियों की तैनाती होने से इसमें राजभाषा हिंदी का प्रयोग सरलता से किया जा रहा है और बल के अधिकारी एवं कार्मिक हिंदी में काम करना गौरव की बात समझते हैं. इसलिए सरकारी कामकाज में शत-प्रतिशत राजभाषा के प्रयोग को सुनिश्चित करने का हमें हरसंभव प्रयास करना चाहिए. हमें न केवल स्वयं अपना कार्य हिंदी में करना चाहिए, बल्कि अपने दूसरे साथियों को भी इसके लिए प्रेरित एवं उत्साहित करना चाहिए. हमारा कर्तव्य है कि हम देश की भौगोलिक सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ देश की सांस्कृतिक एकता एवं भाषाई विरासत की रक्षा करते हुए हिंदी को प्रदत्त संवैधानिक दर्जे की रक्षा में भी पूरे मनोयोग से लगे र???.हें.