बुधवार को पहाड़ पर तीन गोजमुमो समर्थकों की गिरफ्तारी हुयी. उसके अलावा गोजमुमो के जो नेता सिलीगुड़ी आ रहे हैं उनको भी पकड़ा जा रहा है और पुलिस सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सभी पर गैर जमानती धाराएं लगायी जा रही है. सिलीगुड़ी में ही पिछले एक सप्ताह के दौरान गोजमुमो के दो बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया है. इसमें से एक जीटीए का पूर्व सभासद है.जाहिर है पुलिस की इस सक्रियता से गोजमुमो खेमे में खलबली मची हुयी है. विमल गुरूंग सहित पार्टी के तमाम आला नेता मानो भूमिगत हो गए हैं.
विमल गुरूंग तक बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. पुलिस की इस सक्रियता को लेकर गोजमुमो ने राज्य की ममता सरकार पर हमला बोला है.पार्टी के उपाध्यक्ष रोशन गिरि ने कहा कि है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दरअसल गोरखालैंड आंदोलन को कुचलना चाहती है. वह इस समस्या का समाधान नहीं कर आंदोलन को भड़काना चाहती है. यही कारण है कि पुलिस द्वारा उकसावे की कार्यवाइ की जा रही है.श्री गिरि पिछले काफी दिनों से दिल्ली में हैं. उन्होंने मीडिया को बयान जारी कर कहा है कि गोजमुमो के पार्टी कार्यालय,पार्टी अध्यक्ष विमल गुरूंग के आवास पर छापामारी की गयी. जीटीए के कार्यालय को सील कर दिया गया. पुलिस की गोलीबारी में जहां नौ गोरखालैंड आंदोलनकारी मारे गए,वहीं सात लोग अभी भी बुरी तरह से घायल होकर अस्पतालों में भर्ती हैं और जिंदगी तथा मौत से संघर्ष कर रहे हैं. श्री गिरि ने आगे कहा है कि गोरखालैंड आंदोलन को करीब दो महीने होने के हैं. राज्य की ममता सरकार ने अबतक बातचीत की कोई पहल नहीं की. सिर्फ मीडिया में बयान जारी कर कहा जा रहा है कि राज्य सरकार आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए तैयार है. यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो फिर पुलिस कार्यवाई क्यों कर रही है. वास्तविकता यह है कि राज्य सरकार बातचीत करना ही नहीं चाहती.श्री गिरि ने आगे कहा कि दार्जिलिंग,कर्सियांग,कालिम्पोंग और मिरिक में 12 युवा आमरण अनशन कर रहे हैं. उनकी स्थिति बेहद खराब है. उसके बाद भी ममता सरकार खामोश है.इसके साथ ही रोशन गिरि ने पहाड़ पर हिंसा और आगजनी की घटनाओं की भी निंदा की. श्री गिरि ने आगे कहा है कि पहाड़ पर बेमियादी बंद जारी है. विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग चाय और ऑर्किड की बरबादी हो रही है.यहां से चाय और ऑर्किड को बाहर भेज पाना संभव नहीं हो रहा है.राज्य सरकार ने इन पहलुओं की भी अनदेखी की है. दरअसल राज्य सरकार तथा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस चाहती ही नहीं कि समस्या का समाधान हो.