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बंद कमरे में ममता बनर्जी के साथ मीटिंग के बाद भाजपा छोड़ तृणमूल में शामिल हुए मुकुल रॉय

बंद कमरे में ममता बनर्जी के साथ मीटिंग के बाद भाजपा छोड़ तृणमूल में शामिल हुए मुकुल रॉय

कोलकाताः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शुभेंदु अधिकारी के बढ़ते कद से परेशान मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गये. शुक्रवार (11 जून) को तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ बंद कमरे में मीटिंग के बाद मुकुल ने तृणमूल में वापसी की. इससे पहले ममता ने पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक की. मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय भी टीएमसी में शामिल होंगे.

चुनाव से पहले और चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद से ही चर्चा थी कि मुकुल भाजपा छोड़कर तृणमूल में लौट सकते हैं. लेकिन, इस चर्चा को तब हवा मिली, जब कोरोना से संक्रमित मुकुल की पत्नी कृष्णा से मिलने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी अस्पताल पहुंचे. हॉस्पिटल में अभिषेक ने मुकुल के बेटे शुभ्रांशु से मुलाकात की. इसके बाद दिलीप घोष भी अस्पताल गये. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन करके मुकुल से उनकी पत्नी की सेहत के बारे में जानकारी ली.

प्रधानमंत्री के फोन के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी फोन पर मुकुल की पत्नी कृष्णा का हाल जाना. इसके साथ ही इस आशंका को बल मिलने लगा कि मुकुल रॉय की तृणमूल से नजदीकियां बढ़ रही हैं. पिछले दिनों भाजपा की सांगठनिक बैठक में उनका नहीं जाना और यह बयान देना कि बैठक के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गयी थी, ने इस बात पर मुहर लगा दी कि भाजपा और मुकुल में सब कुछ ठीक नहीं है.

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बताया जा रहा है कि मुकुल रॉय के पुत्र शुभ्रांशु भी अपने पिता के साथ अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में लौट जायेंगे. मुकुल रॉय विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे सकते हैं. कालीघाट स्थित ममता बनर्जी के आवास पर बैठक के बाद मुकुल राय तृणमूल भवन पहुंचेंगे और एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस का झंडा थाम लेंगे. भाजपा ने बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह हार गये थे.

एक जमाने में तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद नंबर दो की हैसियत रखते थे. तृणमूल कांग्रेस छोड़ने वाले वह पहले बड़े नेता थे. मुकुल के कहने पर ही बाद में अर्जुन सिंह और अन्य टीएमसी के नेता भाजपा में शामिल हुए. कहा तो यहां तक जा रहा है कि बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले ही वह तृणमूल में लौटना चाहते थे, क्योंकि दिलीप घोष से उनकी नहीं बनती थी. हालांकि, बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से उनकी अच्छी जमती थी. अब जबकि कैलाश को ही किनारे लगा दिया गया है, तो मुकुल को अपना भविष्य सुरक्षित नहीं दिख रहा.

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एक सप्ताह में ममता से 4 बार हुई मुकुल की बात

सूत्रों का कहना है कि एक सप्ताह में मुकुल राय और ममता बनर्जी के बीच कम से कम 4 बार फोन पर बात हुई. विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल सांसद सौगत राय ने मुकुल के तृणमूल में लौटने के संकेत दे दिये थे. सौगत ने कहा था कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अभिषेक बनर्जी के संपर्क में हैं और तृणमूल में लौटना चाहते हैं.

Posted By: Mithilesh Jha

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