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वोटर लिस्ट में आयोग और भाजपा की मिलीभगत से हो रही गड़बड़ी : तृणमूल

तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को मतदाता सूची में ‘बड़े पैमाने पर विसंगतियों’ को लेकर निर्वाचन आयोग और भाजपा पर आरोप लगाया और दावा किया कि राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) से पहले ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ के तहत हजारों नाम हटाये जा रहे हैं.

कोलकाता.

तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को मतदाता सूची में ‘बड़े पैमाने पर विसंगतियों’ को लेकर निर्वाचन आयोग और भाजपा पर आरोप लगाया और दावा किया कि राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) से पहले ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ के तहत हजारों नाम हटाये जा रहे हैं. तृणमूल के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने यहां संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि पार्टी ने वर्ष 2002 की मतदाता सूची और आयोग की वेबसाइट पर हाल में अपलोड की गयी सूची के बीच जबरदस्त अनियमितताएं पायी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यह हेरफेर निर्वाचन आयोग के कुछ अफसरों की ‘मिलीभगत’ से भाजपा के कार्यालयों से किया जा रहा है.

घोष ने आगे कहा, ‘‘यह खामोशी से की जाने वाली धांधली है. एक क्षेत्र में, वर्ष 2002 की सूची में 717 मतदाता थे, अब इसमें सिर्फ 140 मतदाता दिखते हैं. वे सब एक साथ तो मर नहीं सकते! कई बूथों पर, सैकड़ों नाम बिना किसी आधिकारिक स्पष्टीकरण के गायब हो गये हैं.” तृणमूल के अनुसार, हाबरा ब्लॉक-दो के तहत अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र की गुमा-एक ग्राम पंचायत में, बूथ संख्या 159 में वर्तमान में आयोग की वेबसाइट पर शून्य पंजीकृत मतदाता दिखाये गये हैं. हालांकि, 2002 की सूची में लगभग 900 नाम थे.”

तृणमूल नेता ने दावा किया कि इसी तरह के मामले कूचबिहार में भी पाये गये हैं, जहां कई बूथों पर अब 400 से 900 मतदाताओं के नाम गायब दिख रहे हैं. घोष ने यह भी आरोप लगाया, “यह वास्तविक मतदाताओं को सूची से हटाने का एक सुनियोजित कदम है. यह साजिश भाजपा कार्यालयों के भीतर रची गयी और निर्वाचन आयोग के पोर्टल के माध्यम से लागू की गयी. अन्यथा, भाजपा नेताओं को पहले से कैसे पता चलता है कि लाखों नाम हटा दिये जायेंगे?” बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि उसने आयोग के पास औपचारिक शिकायत दर्ज करा दी है. उसने चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर करने के खतरनाक प्रयास करार दिये गये इस मामले की पूर्ण पैमाने पर जांच की मांग की है.

घोष ने जोर देकर कहा, ‘‘हम (तृणमूल) एक भी वैध मतदाता का नाम हटाने नहीं देंगे और पार्टी आयोग के सामने पेश करने के लिए बूथ-वार सबूत जुटा रही है.’’ इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कथित अनियमितताओं का नुकसान भाजपा को भी हुआ है. उन्होंने कहा, “कई क्षेत्रों में, यहां तक कि भाजपा समर्थकों ने भी अपने नाम गायब पाये हैं. इससे उनमें भी असंतोष पैदा हो गया है.” तृणमूल ने यह आरोप ऐसे वक्त लगाये हैं. जब बंगाल के जिलों में एसआइआर कवायद को लेकर फैली अफवाहों के कारण आत्महत्या की घटनाएं सामने आयी हैं.

राज्य में अशांति फैलाने की साजिश : सुकांत

राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. एसआइआर को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तीखा हमला बोला है. श्री मजूमदार ने गुरुवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यहां की सत्तारूढ़ पार्टी बंगाल में अशांति फैलाने की साजिश रच रही है. उन्होंने कहा कि अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी कोशिश कर रही हैं कि बंगाल में अशांति का माहौल पैदा हो. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सीएए को लेकर झूठ फैला रही है और अतीत की तरह हिंसा भड़काने की कोशिश कर रही है, जैसा पहले वक्फ कानून लागू होने के दौरान किया गया था. उन्होंने राज्य के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि एसआइआर प्रक्रिया से किसी भी वैध वोटर का नाम नहीं कटेगा. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के जस्टिस फॉर प्रदीप कर अभियान पर श्री मजूमदार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि तृणमूल का यह अभियान कॉपीकैट है. राज्य की जनता ने मेडिकल छात्रा को न्याय दिलाने के लिए जस्टिस फॉर अभया अभियान चलाया था, जबकि तृणमूल का यह अभियान अपना वोट बैंक बचाने के लिए है.

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