संवाददाता, कोलकाता
साॅल्टलेक के विकास भवन में प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज की घटना पर चिकित्सकों के संगठन वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम (डब्ल्यूबीडीएफ) ने क्रूर और अमानवीय कदम बताते हुए पुलिस की निंदा की है. इस संबंध में चिकित्सकों के इस संगठन की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया है. इस प्रेस वार्ता में लिखा गया है कि जिन पर लाठीचार्ज की गयी है ये वे लोग हैं, जिन्हें स्कूल सेवा आयोग, शिक्षा विभाग और राज्य सरकार की मिलीभगत से किये गये अभूतपूर्व और ऐतिहासिक भ्रष्टाचार के कारण रोजगार और सम्मान से वंचित किया गया है. ये शिक्षक केवल आंदोलनकारी नहीं हैं ये एक विफल व्यवस्था के शिकार हैं, जिसका भविष्य अब पूरी तरह से अस्त-व्यस्त और अनिश्चित है. यह शर्म की बात है कि जिन लोगों को मुआवजा और सम्मान दिया जाना चाहिए था, उन्हें इसके बजाय लाठियों, अपमान और राज्य प्रायोजित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. हमें जनता को यह भी याद दिलाना चाहिए कि यह कोई अकेली घटना नहीं है. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हमने संस्थागत भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और आपराधिक उदासीनता के कारण समान रूप से भयावह पतन देखा है. चाहे वह पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल हो या स्वास्थ्य विश्वविद्यालय या स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के कामकाज में हो. अराजकता और समझौते के इस माहौल ने पूरे राज्य में डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए अंतहीन कठिनाई पैदा कर दी है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात एक युवा महिला डॉक्टर का बलात्कार और हत्या ऐसी एक घटना है. ऐसे में डब्ल्यूबीडीएफ प्रदर्शनकारी शिक्षकों के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा है और मांग करता है कि शिक्षकों के खिलाफ सभी पुलिस कार्रवाई को तत्काल रोका जाये और सभी योग्य उम्मीदवारों को सेवाओं में भर्ती किया जाये. इस क्रूरता के लिए जिम्मेदार हर अधिकारी और व्यक्ति माफी मांगनी चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है