कोलकाता/नयी दिल्ली.
तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने की रूपरेखा तय करने वाले तीन विधेयकों पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को शनिवार को तमाशा करार दिया और कहा कि वह इसमें अपना कोई सदस्य नहीं भेजेगी. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130 संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को लोकसभा में पेश किये गये. इन्हें संसद की एक संयुक्त समिति को भेज दिया गया है. तृणमूल ने एक बयान में कहा : हम 130वें संविधान संशोधन विधेयक का पेश होने के चरण से ही विरोध कर रहे हैं और हमारा मानना है कि जेपीसी एक दिखावा है, इसलिए हम तृणमूल से किसी को नामित नहीं कर रहे हैं. प्रस्तावित विधेयक गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने के लिए एक कानूनी रूपरेखा प्रदान करते हैं. माॅनसून सत्र के समापन से ठीक पहले लाये गये इन विधेयकों का विपक्ष से पुरजोर विरोध किया है. समिति को शीतकालीन सत्र में सदन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. सत्र संभवतः नवंबर के तीसरे सप्ताह में आयोजित किया जायेगा. इससे पहले, राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ ””ब्रायन ने कहा कि केंद्र पूरे माॅनसून सत्र में रक्षात्मक मुद्रा में रहा और उसने कार्यवाही में व्यवधान डालने के लिए अनेक उपाय किये. ओ ब्रायन ने एक्स पर अपनी पोस्ट में सत्तारूढ़ गठबंधन को कमजोर करार दिया. उन्होंने कहा : पूरे माॅनसून सत्र, 239 सीटों वाला मोदी गठबंधन रक्षात्मक मुद्रा में रहा. उपराष्ट्रपति लापता रहे और भाजपा को अभी तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं मिला. इसके अलावा, वोट चोरी घोटाला भी हुआ. दबाव में आकर उन्होंने पूरे सत्र में बाधा डालने के तरीके खोज निकाले.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

