यौनकर्मियों के दस्तावेज संबंधी संकट पर विशेष व्यवस्था की मांग, वोटर कार्ड रद्द न करने की अपील
संवाददाता, कोलकातामहानगर के रेड लाइट एरिया सोनागाछी में एसआइआर को लेकर गहरी दहशत देखी जा रही है. एसआइआर शुरू हुए 17 दिन बीत जाने के बाद भी स्थिति में सुधार न देख तीन सामाजिक संगठनों ने यौनकर्मियों और उनके बच्चों की समस्याओं को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की अपील की है. पत्र लिखने वाले संगठनों में सोसाइटी ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड सोशल एक्शन, उषा मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और आमरा पदातिक शामिल हैं. इन संगठनों ने यौनकर्मियों की वास्तविक स्थिति और उनकी व्यावहारिक कठिनाइयों का विस्तार से उल्लेख किया है.
पत्र में उठाए गए प्रमुख मुद्दे हैं- ग्रामीण व बाहरी राज्यों से आने वाली यौनकर्मियों के पास 2002 के दस्तावेज नहीं हैं, कई यौनकर्मी अपने घर-परिवार से लंबे समय से संपर्क में नहीं हैं, ऐसे में 2002 का दस्तावेज उपलब्ध कराना लगभग असंभव है, कई महिलाएं परिस्थितियों के कारण घर छोड़कर आयीं, दस्तावेज साथ नहीं है, अनेक यौनकर्मी अचानक घर छोड़ देती हैं और अपने साथ कोई पहचान दस्तावेज नहीं लातीं हैं, सामाजिक बाधाओं के कारण कई ने परिवार से अपना पेशा छिपाया. ऐसी महिलाओं के लिए पारिवारिक दस्तावेज जुटाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि वे घरवालों को अपने काम की जानकारी नहीं देना चाहतीं. संगठनों की मांगों में यौनकर्मियों के लिए किसी अन्य वैकल्पिक दस्तावेज या पहचान पत्र को मान्य करने का अनुरोध, सोनागाछी में विशेष शिविर लगाकर गणना प्रपत्र भरने की सुविधा देने, किसी भी यौनकर्मी का वोटर कार्ड रद्द न करने आदि शामिल है.बता दें कि सोनागाछी में इस समय लगभग 10000 यौनकर्मी हैं. इनमें से करीब 1,000 महिलाएं रोजाना काम के लिए यहां आती हैं और लौट जाती हैं, जबकि हजारों स्थायी रूप से यहां रहती हैं. अधिकांश के पास वोटर कार्ड भी है और वे मतदान करती हैं. एक यौनकर्मी ने बताया, “मेरी शादी हुई थी, लेकिन पति ने छोड़ दिया. 17 साल पहले डेढ़ साल के बच्चे के साथ इस पेशे में आना पड़ा. मेरे बेटे का नाम पिछले साल वोटर लिस्ट में था, लेकिन उसके पिता नहीं हैं और 2002 का कोई दस्तावेज नहीं मिल रहा. समझ नहीं आ रहा क्या होगा.”
आमरा पदातिक की महाश्वेता मुखोपाध्याय ने कहा कि 2007 में तत्कालीन मुख्य चुनाव अधिकारी देवाशीष सेन ने उषा मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी के अकाउंट को दस्तावेज के रूप में मानकर यौनकर्मियों को वोटर कार्ड जारी किया था. हम चाहते हैं कि इस बार भी ऐसा ही कोई वैकल्पिक दस्तावेज लागू किया जाये, वरना हजारों यौनकर्मियों को संकट का सामना करना पड़ेगा. संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे एसआइआर के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन आयोग से वास्तविकता को समझकर संवेदनशील कदम उठाने की अपील की है. यौनकर्मियों को लक्ष्मी भंडार, विधवा भत्ता जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, इसलिए उनकी नागरिकता पर सवाल नहीं उठना चाहिए. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग उनकी समस्याओं के समाधान के लिए क्या कदम उठाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

