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आवारा कुत्तों पर नियंत्रण की जंग : एक लाख कुत्तों पर सिर्फ एक डॉक्टर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने आवारा कुत्तों की धरपकड़ और उनकी संख्या नियंत्रित करने की कवायद तेज कर दी है.

शिव कुमार राउत, कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने आवारा कुत्तों की धरपकड़ और उनकी संख्या नियंत्रित करने की कवायद तेज कर दी है. इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है. लेकिन हकीकत यह है कि महानगर में लगभग एक लाख आवारा कुत्ते हैं और निगम के पास केवल एक पशु चिकित्सक. ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाना निगम के लिए असंभव जैसा हो गया है. निगम के सूत्रों के मुताबिक, फंड और बुनियादी ढांचे की भारी कमी है. पिछले तीन वर्षों में महज 5,000 कुत्तों का ही बधियाकरण हो सका. जबकि 2021-22 में राज्य सरकार ने 86 लाख और केंद्र ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ) के तहत 14 लाख रुपये आवंटित किये थे. लेकिन निगम केंद्र से मिले 14 लाख में से केवल पांच लाख रुपये ही खर्च कर सका और शेष नौ लाख रुपये वापस करने पड़े. पशु विशेषज्ञ अर्जोइता दास के अनुसार, कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए नर और मादा दोनों की नसबंदी आवश्यक है. करीब 70% आबादी पर रोक लगाना जरूरी है. लेकिन निगम मुख्यत: नर कुत्तों पर ही ध्यान दे रहा है, जिससे अभियान प्रभावी नहीं हो पा रहा. 2021 के सर्वे के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 11.57 लाख आवारा कुत्ते थे, जिनमें से 70 हजार केवल कोलकाता में. स्वयंसेवी संगठनों का दावा है कि पिछले पांच सालों में महानगर में यह संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है.

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