पश्चिम बंगाल के चार दिवसीय दौरे पर सिलीगुड़ी पहुंचे मोहन भागवत
कोलकाता. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को चार दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंचे. इस दौरान वह राज्य में संघ के कई संगठनात्मक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. गुरुवार को भागवत दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में युवाओं के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने युवाओं को राष्ट्र प्रथम का संदेश दिया. बताया गया है कि शुक्रवार को भागवत सिलीगुड़ी में आरएसएस पदाधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करेंगे. वह कार्यकर्ताओं को संघ के दिशा-निर्देशों से अवगत करायेंगे. इसके बाद भागवत शनिवार को उत्तर बंगाल से कोलकाता पहुंचेंगे, जहां वे शनिवार व रविवार को कई संगठनात्मक बैठकें करेंगे. बताया गया है कि आरएसएस प्रमुख के पूरे दौरे के दौरान सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. सिलीगुड़ी के कार्यक्रमों में उत्तर बंगाल के आठ जिलों और पड़ोसी राज्य सिक्किम की सहभागिता है, जिसमें संघ की सेवा, अनुशासन और प्रतिबद्धता पर विस्तार से चर्चा होगी.
जानकारी के अनुसार, महानगर के साइंस सिटी परिसर में 21 दिसंबर काे आयोजित संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में भागवत शामिल होंगे. इस विशेष आयोजन में वह दो महत्वपूर्ण संबोधन देंगे. इन संबोधनों का केंद्र संघ की 100 वर्षों की सामाजिक यात्रा, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की नीति और एकजुट हिंदू समाज के माध्यम से वैभवशाली भारत के लक्ष्य पर रहेगा. दक्षिण बंगाल के सह प्रचार प्रमुख विप्लव राय ने बताया कि माेहन भागवत के कार्यक्रम की सारी तैयारियां पूरी हो गयी हैं. अपने इस दौरे के दौरान वह कोलकाता के प्रबुद्ध वर्ग के साथ मुलाकात भी करेंगे और उनके साथ परिचर्चा में शामिल होंगे.साइंस सिटी में अपने संबोधन में मोहन भागवत यह बतायेंगे कि शताब्दी वर्ष पूर्ण करने तक संघ ने भारत के जनमानस के बीच किस तरह अपनी जगह बनायी और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की सोच के तहत निरंतर त्याग, समर्पण और राष्ट्रभक्ति के साथ कार्य किया. दूसरे प्रमुख संबोधन में वे एकजुट समाज के माध्यम से वैभवशाली भारत के निर्माण के भविष्य के लक्ष्य पर अपने विचार रखेंगे. इसमें सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में संघ के प्रयासों का उल्लेख किया जायेगा.
गौरतलब है कि, शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी 100 वर्षों की यात्रा, विचार और कार्यों को समाज के सामने रख रहा है. कोलकाता का यह आयोजन भी उसी व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसमें पूर्वी भारत में संघ के वैचारिक और सामाजिक प्रभाव को रेखांकित किया जायेगा.
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