कोलकाता.
क्या एसआइआर फिर से नागरिकता के अधिकार छीन लेगा? यह सवाल कूचबिहार के छींटमहल के लोगों में एसआइआर की घोषणा के बाद से उठने लगा है. एसआइआर के लिए 2002 की मतदाता सूची को मानदंड बनाया गया है. 31 जुलाई 2015 की आधी रात बांग्लादेश से समझौते के बाद वे भारत के अधीन हुए थे. आदान-प्रदान के बाद ही उन्हें 2015 में भारतीय नागरिकता मिल गयी थी. उनमें से किसी के पास 2002 का कोई दस्तावेज़ नहीं है. ऐसे में भविष्य को लेकर उनकी चिंता बढ़ गयी है. छींटमहल के निवासियों को प्रमाण पत्र मिल जायेगा, लेकिन परिवारों की जिन बेटियों की शादी आदान-प्रदान से पहले कहीं और हुई थी, उन्हें नागरिकता पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मशालडांगा निवासी जॉइनल आबेदीन ने कहा कि एसआइआर में चुनाव आयोग ने निर्णय लिया है कि 2002 की मतदाता सूची में शामिल लोगों के नामों के आधार पर एक नयी संशोधित सूची तैयार की जायेगी. उन्हें डर है कि कहीं उनकी नागरिकता न छिन जाये. हाल के दिनों में एसआइआर और एनआरसी के भय से राज्य में कई लोगों ने या तो अपनी जान दे दी या फिर जान देने की कोशिश की. बहरहाल, छींटमहल के बाशिंदे एसआइआर को लेकर अब भी आशंकित हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

