पशु-प्रेमी कुत्तों की नसबंदी व वैक्सीनेशन पर दे रहे जोर, कहा- एक साथ हटाया गया तो चूहों का उपद्रव बढ़ेगा
परिसर में मौजूद हैं 10–15 कुत्ते
संवाददाता, कोलकाता
महानगर के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों के परिसर में मरीजों के साथ-साथ आवारा कुत्ते भी देखे जाते हैं. निजी अस्पतालों में भी कुत्ते रहते हैं, लेकिन वे केवल परिसर तक सीमित रहते हैं और इंडोर विभाग में प्रवेश नहीं कर पाते. जबकि एसएसकेएम (पीजी) समेत कई सरकारी अस्पतालों के इंडोर विभागों में भी आवारा कुत्तों की मौजूदगी बनी रहती है. इसी समस्या से परेशान होकर जोका मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने परिसर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें अन्य स्थानों पर भेजने की योजना बनायी है. हाल ही में कॉलेज प्रबंधन और श्रम मंत्रालय के बीच हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इसके लिए कोलकाता नगर निगम के साथ तत्काल समन्वय स्थापित करने का फैसला हुआ है. साथ ही, परिसर में सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने और कई हिस्सों में बाड़ लगाने की भी योजना है.हालांकि, पशु-प्रेमियों ने इस कदम पर आपत्ति जतायी है. उनका कहना है कि कुत्तों को एक साथ हटाने से इको सिस्टम पर नकारात्मक असर पड़ेगा और चूहों व बंदरों का उपद्रव बढ़ सकता है. इसके अलावा, नये इलाके में ले जाये गये कुत्तों के बीच गैंगवार होने की आशंका भी जतायी जा रही है, जिससे डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ सकती हैं.
पशु-प्रेमी राजीव घोष का मानना है कि कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन कराने से समय के साथ उनकी संख्या स्वतः नियंत्रित हो सकती है. वहीं, अर्जोइता दास ने सुझाव दिया कि विप्रो और निक्को पार्क की तरह अस्पतालों में भी कुत्तों के लिए अलग से फेंसिंग की व्यवस्था की जाए, जिससे समस्या का समाधान हो सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

