भरतपुर के विधायक ने किया साफ : फिलहाल तृणमूल छोड़ना संभव नहीं कोलकाता. अपने विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले भरतपुर के विधायक व तृणमूल कांग्रेस के नेता हुमायूं कबीर को अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) में शामिल होने के प्रस्ताव की अटकलें हैं. सूत्रों के अनुसार, पिछले महीने कई बार तृणमूल नेता कबीर को एआइएमआइएम में शामिल होने के लिए फोन पर प्रस्ताव दिये जाने की बात सामने आयी है. पिछले महीने ही भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पर कटाक्ष के दौरान विवादास्पद टिप्पणी देने को लेकर कबीर को तृणमूल की अनुशासन समिति ने शोकॉज किया था. बताया जा रहा है कि उसके बाद से ही ओवैसी की पार्टी की ओर से कबीर से लगातार संपर्क किया गया और एआइएमआइएम बंगाल में कबीर को पार्टी की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर सामने लाना चाहती है. यह बात सामने आयी है कि तृणमूल नेता ने ओवैसी की पार्टी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. उन्होंने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा : मैंने एआइएमआइएम के नेताओं को साफ बता दिया है कि मेरे लिए तृणमूल को छोड़ना संभव नहीं है. हो सकता है कि कुछ बातों को लेकर उनका उनकी पार्टी से विचारों में मतभेद हो सकता है, लेकिन अभी ऐसे हालात नहीं बने हैं कि उन्हें तृणमूल छोड़ना पड़े. राजनीति में कबीर के कई बार पाला बदलने की घटना हो चुकी है. पहले वह मुर्शिदाबाद की राजनीति में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के करीबियों में से एक माने जाते थे. वर्ष 2011 में वह रेजीनगर में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी जीते थे. वर्ष 2013 में वह कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल में शामिल हो गये और उन्हें पशुपालन विभाग का राज्य मंत्री भी बनाया गया. लेकिन उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बाद में सांसद अभिषेक बनर्जी को लेकर टिप्पणी करने के बाद उन्हें तृणमूल से सस्पेंड कर दिया गया. उसके बाद वह फिर कांग्रेस में लौट आये, लेकिन ज्यादा समय तक नहीं. वर्ष 2018 में उन्होंने नयी दिल्ली जाकर भाजपा का दामन थामा. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर मुर्शिदाबाद में चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो पाये. वर्ष 2021 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के पहले वह फिर तृणमूल में शामिल हुए और तृणमूल के टिकट पर उन्होंने भरतपुर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की.
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