संवाददाता, कोलकाता पहलगाम में आतंकियों द्वारा अपने पति समीर गुहा की हत्या के बाद बेहला में रहने वाले गुहा परिवार के लिए जीवन बदल गया है. जो परिवार हमेशा यात्रा के अनुभवों को संजोकर रखते था, उसके लिए अब भव्य दुर्गापूजा भी फीकी पड़ गयी है. पूजा मंडप से आती ढाक की आवाज दिवंगत समीर की पत्नी शबरी को उदास कर देती है. शबरी ने उदास स्वर में कहा, ‘अब मंदिर नहीं जाना है.’ समीर गुहा केंद्र सरकार में कर्मचारी थे और भगवान गणेश के बड़े भक्त थे. उनके घर में हर साल पांच दिनों तक धूमधाम से गणेश पूजा होती थी. लेकिन इस बार घर में सन्नाटा पसरा हुआ है. शबरी ने बताया कि उन्हें अभी भी फ्लैट के लिए 45 हजार रुपये प्रति माह का कर्ज चुकाना पड़ रहा है और बेटी की पढ़ाई का खर्च भी समीर की कमाई से ही पूरा होता था. उनकी बेटी ने अभी हाल ही में कोलकाता के एक निजी कॉलेज में मनोविज्ञान में स्नातक में दाखिला लिया है. शबरी ने आरोप लगाया कि पिछले पांच महीनों में कोई सरकारी अधिकारी या प्रशासनिक पदाधिकारी परिवार की सुध लेने नहीं आया. हम उस घटना के पीड़ित हैं जिसने सबकुछ बदल दिया. एनआइए के अधिकारी एक बार जांच के लिए आये थे, लेकिन उसके बाद कोई संपर्क नहीं हुआ. कोई जानना नहीं चाहता कि हम क्या चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस समय वह अपनी बेटी की पढ़ाई के खर्च और घर का खर्च संभालने में असमंजस में हैं. बोलते-बोलते शबरी की आवाज में गुस्सा और हताशा झलक रही थी. उन्होंने कहा, “अगर कभी हालात बदलते हैं और मुझे अपनी आस्था वापस मिलती है, तो मैं फिर से पूजा-अर्चना करूंगी.”
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