अदालतों में अन्य कई मामले लंबित रहने के कारण फिलहाल नहीं होगी रिहाई
संवाददाता, कोलकाताकोलकाता की एक अदालत ने करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले के आरोपी सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी व सह-आरोपी देबजानी मुखर्जी को उनके खिलाफ लंबित कई मामलों में से तीन में मंगलवार को बरी कर दिया. आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाये गये थे.कोलकाता के विचार भवन स्थित 11वीं न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने सारधा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन और उसकी कथित सहयोगी देबजानी मुखर्जी को तीनों मामलों में मुकदमे के बाद बरी कर दिया है. अदालत सूत्र बताते हैं कि सरकार की तरफ से इन तीनों मामलों में 15 गवाह पेश किये गये थे. दोनों आरोपियों की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि सरकारी पक्ष इन गवाहों को पेश करने के बावजूद निचली अदालत के समक्ष मामला साबित नहीं कर सका, जिसके कारण न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया है. गौरतलब है कि चिटफंड मामले की जांच शुरू कर पुलिस ने सुदीप्त सेन और देबजानी मुखर्जी को 23 अप्रैल 2013 को जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग से गिरफ्तार किया था. दोनों के खिलाफ कई अन्य मामले भी अदालतों में लंबित पड़े हैं, इसलिए तीन मामलों में बरी होने के बावजूद वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे.
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