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जलवायु परिवर्तन व शहरीकरण से बढ़ा मच्छरों का प्रकोप

भारत में साल भर मच्छर जनित बीमारियों का खतरा रहता है. 81 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां सिर्फ माॅनसून के दौरान ही नहीं, बल्कि साल के किसी भी समय हो सकती हैं. एक सर्वे के अनुसार, पूर्वी भारत के 86 प्रतिशत लोग इस बात पर सहमत हैं कि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां सिर्फ माॅनसून के दौरान ही नहीं, बल्कि साल के किसी भी समय हो सकती हैं.

कोलकाता.

भारत में साल भर मच्छर जनित बीमारियों का खतरा रहता है. 81 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां सिर्फ माॅनसून के दौरान ही नहीं, बल्कि साल के किसी भी समय हो सकती हैं. एक सर्वे के अनुसार, पूर्वी भारत के 86 प्रतिशत लोग इस बात पर सहमत हैं कि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां सिर्फ माॅनसून के दौरान ही नहीं, बल्कि साल के किसी भी समय हो सकती हैं. इसके बाद पश्चिम भारत के 81 प्रतिशत उत्तर और दक्षिण भारत के 80 प्रतिशत लोग भी इससे सहमत हैं.

गुडनाइट सर्वेक्षण से भारतीय माता-पिता के व्यवहार में एक मजबूत बदलाव का पता चलता है. लगभग 95 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि माता-पिता बनने के बाद वे खरीदे जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर कहीं ज्यादा सतर्क हो गये हैं. यह सतर्क दृष्टिकोण टियर एक, टियर दो और टियर तीन शहरों में एक जैसा है, जहां दक्षिण में यह 97%, पूर्व में 96%, पश्चिम में 95% और उत्तर में 92% है.

बता दें कि गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के कीटनाशक ब्रांड गुडनाइट द्वारा किये गये एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में उक्त बातों का खुलासा हुआ है. इस अध्ययन का शीर्षक था ””एक मच्छर, अनगिनत खतरे””. कंपनी की मार्केटिंग प्रमुख- होम केयर शिल्पा सुरेश ने कहा : अवैध मच्छर भगाने वाली अगरबत्तियों जैसे अनियमित उत्पादों से बचना बेहद जरूरी है, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं.

लोग केवल केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड व पंजीकरण समिति (सीआइबीआरसी) द्वारा अनुमोदित वैध और सुरक्षित उत्पादों का ही चयन करें. ऐसे उत्पादों का व्यापक सुरक्षा और प्रभाव संबंधी परीक्षण किये जाते हैं. उपभोक्ता पैकेजिंग पर सीआइबीआरसी पंजीकरण संख्या देखकर उनकी पहचान कर सकते हैं.

पिछले साल भारत में डेंगू के 2,33,519 मामले आये सामने

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल भारत में डेंगू के 2,33,519 से ज्यादा मामले सामने आये थे. 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस के रूप में ये निष्कर्ष पूरे साल निरंतर सतर्कता और निवारक कार्रवाई की आवश्यकता की समयोचित याद दिलाते हैं. विशेषज्ञ मच्छर जनित बीमारियों के खतरे के लिए जलवायु परिवर्तन, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और साल भर प्रजनन की स्थिति जैसे कारकों को जिम्मेदार मानते हैं, जिससे यह खतरा अब सिर्फ माॅनसून के मौसम तक ही सीमित नहीं रह गया है.

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