ऑपरेशन ”चक्र”. अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह पर सीबीआइ की बड़ी कार्रवाई
कोलकाता. अमेरिकी नागरिकों को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने ऑपरेशन ””चक्र’ के तहत कोलकाता, नयी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नोएडा में व्यापक छापेमारी की है. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ से मिले इनपुट के आधार पर शुरू किये गये इस अभियान में सीबीआइ ने अब तक छह मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है और 1.88 करोड़ रुपये नकदी तथा 34 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किये हैं. गिरफ्तार आरोपियों में शुभम सिंह उर्फ डोमनिक, डाल्टनलियान उर्फ माइकल, जॉर्ज टी जामलियनलाल उर्फ माइल्स, एल सेमिनलिन हाओकिप उर्फ रॉनी, मंगखोलुन उर्फ मैक्सी और रॉबर्ट गखानखुआल उर्फ डेविड उर्फ मुनरोइन शामिल हैं. नोएडा में कॉल सेंटर से रंगे हाथों गिरफ्तारी: सीबीआइ ने नौ दिसंबर को केस दर्ज कर जांच शुरू की. इसके बाद 10 और 11 दिसंबर को कोलकाता में आरोपियों से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे गये. अधिकारियों के अनुसार कोलकाता से मिले डिजिटल दस्तावेज, डिवाइस और विदेशी लेनदेन के सुराग गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की पुष्टि करते हैं. नोएडा में चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर पर छापा मारकर आरोपी अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी करते हुए रंगे हाथों पकड़े गये. वहां से अमेरिकी नंबरों पर कॉल करने वाले विशेष सॉफ्टवेयर, स्क्रिप्ट और हाई-एंड सिस्टम बरामद हुये. सीबीआइ ने बताया कि गिरोह ठगी की रकम को क्रिप्टो वॉलेट के जरिये विदेशों में भेजने में माहिर था. अनेक लेयर वाले बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट की मदद से पैसे को ट्रैक करना बेहद कठिन बना दिया जाता था.
सीबीआइ के अनुसार यह गिरोह 2022 से 2025 के बीच अमेरिकी नागरिकों से संपर्क कर खुद को यूएस डीइए, एफबीआइ या एसएसए का अधिकारी बताता था. आरोपियों का तरीका बेहद पेशेवर था. वे पीड़ितों को विश्वास दिलाते थे कि उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) का इस्तेमाल ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है और जांच में सहयोग न करने पर उनके बैंक खाते और संपत्तियां फ्रीज कर दी जायेंगी. डर और दहशत का फायदा उठाकर गिरोह ने अमेरिकी नागरिकों से 8.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 71 करोड़ रुपये) विदेशी बैंक खातों और क्रिप्टोकरेंसी के जरिये वसूल लिए.
नेटवर्क पर पैनी नजर
सीबीआइ ने कहा कि ऑपरेशन ””चक्र’ के तहत भारत में सक्रिय संगठित साइबर अपराध नेटवर्क को समाप्त करने के लिए एजेंसी इंटरपोल और कई विदेशी जांच एजेंसियों के साथ तालमेल कर रही है. जांच जारी है और कोलकाता से मिले डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर और गिरफ्तारियां संभव हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई भारत में मौजूद अवैध कॉल सेंटरों पर बड़ी चोट है और आगे भी ऐसे नेटवर्क पर शिकंजा कसने की कार्रवाई जारी रहेगी.
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