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किसी को ””बांग्लादेशी”” कहने से पहले हो जांच : सुप्रीम कोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने गर्भवती सोनाली बीबी समेत छह लोगों को बांग्लादेश वापस भेजने के आदेश को खारिज कर दिया है.

संवाददाता, कोलकाता

कलकत्ता हाइकोर्ट ने गर्भवती सोनाली बीबी समेत छह लोगों को बांग्लादेश वापस भेजने के आदेश को खारिज कर दिया है. जस्टिस तपोव्रत चक्रवर्ती और जस्टिस ऋतव्रत कुमार मित्रा की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया था कि वे एक महीने के भीतर उन्हें भारत वापस लायें. इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट के आदेश के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि किसी को ””””बांग्लादेशी”””” कहने से पहले जांच होनी चाहिए.

कोर्ट ने केंद्र की भूमिका पर सवाल उठाया. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोई बांग्लादेश से गैर-कानूनी तरीके से आता है, तो उसे वापस भेजना सही है. इस पर किसी को कोई एतराज नहीं है, लेकिन अगर कोई यह बताता है कि वह भारत में पैदा हुआ है और भारत में ही पला-बढ़ा है, तो उसके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने केंद्र से यह भी कहा कि केंद्र के पास अलग-अलग एजेंसियां हैं. ये एजेंसियां ठीक से जांच कर सकती हैं.

कोर्ट ने कहा है कि कागजात के आधार पर नागरिकता की जांच की जा सकती है. इस मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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