कोलकाता
. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने से जुड़े भाजपा सरकार के विधेयक को लेकर संसद में तीखा टकराव देखने को मिला. तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर गुरुवार को संसद परिसर में धरना प्रदर्शन किया और इस कदम को ग्रामीण गरीबों पर सीधा हमला करार दिया. तृणमूल की सांसद मिताली बाग, असित कुमार माल और प्रकाश चिक बड़ाइक ने अन्य विपक्षी सांसदों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विरोध दर्ज कराया. तृणमूल का आरोप है कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि मनरेगा की मूल भावना और आत्मा पर वैचारिक हमला है. पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार ने बीते वर्षों में इस योजना को कमजोर करने के लिए लगातार फंड रोके, काम के अवसर घटाये और मजदूरों की मजदूरी रोकी गयी. अब योजना को व्यवहार में पंगु बनाने के बाद उसके नाम और पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है. तृणमूल नेताओं ने कहा कि यह विधेयक भारत के ग्रामीण गरीबों की जीवनरेखा पर अंतिम प्रहार के समान है. उनका आरोप है कि महात्मा गांधी के नाम को हटा कर भाजपा न केवल इतिहास का अपमान कर रही है, बल्कि श्रम की गरिमा और गरीबों के अधिकारों को भी ठेस पहुंचा रही है. पार्टी ने यह भी कहा कि ‘महात्मा’ शब्द को वैश्विक पहचान देने वाले कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर और खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दोनों के आदर्शों का अपमान किया जा रहा है. दूसरी ओर, तीव्र विरोध के बावजूद भाजपा ने लोकसभा में अपने संख्याबल के दम पर विधेयक पारित करा लिया. तृणमूल सांसद मिताली बाग का आरोप है कि इस दौरान लोकतांत्रिक परंपराओं को दरकिनार किया गया. वे मनरेगा को कमजोर करने और गरीबों को सजा देने की इस राजनीति के खिलाफ पहले दिन से संघर्ष कर रहे हैं और आगे भी संसद से सड़क तक विरोध जारी रहेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

