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खराब शिक्षण गुणवत्ता पर एनआरएस को चेतावनी

राज्य में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कई सवाल पहले से उठ रहे हैं. अब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने महानगर के एक बड़े मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा शिक्षा गुणवत्ता पर सवाल खड़ा किया है.

एनएमसी ने अस्पताल प्रबंधन को जारी किया शोकॉज, लग सकता है आठ करोड़ रुपये का जुर्माना

संवाददाता, कोलकाताराज्य में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कई सवाल पहले से उठ रहे हैं. अब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने महानगर के एक बड़े मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा शिक्षा गुणवत्ता पर सवाल खड़ा किया है. इसके साथ ही आयोग ने अस्पताल को शोकॉज करते हुए आठ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. एनएमसी ने मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में एनआरएस मेडिकल कॉलेज को कारण बताओ नोटिस दिया है. एनएमएसी ने इस संबंध अस्पताल को भेजे अपने पत्र में आठ मुद्दों का उल्लेख किया और अस्पताल प्रबंधन से उचित उत्तर मांगे गये जवाब संतोषजनक न मिलने पर आठ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी गयी है.एनएमसी के पत्र में उल्लेख किया गया है कि एनआरएस के 20 विभागों में से 18 में शिक्षण और चिकित्सा स्टाफ की कमी है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एनआरएस में डॉक्टरों की कमी से नाराज है. एनएससी पर परीक्षा हॉल की स्थिति पर भी नाराजगी व्यक्त की है. नियमों के उल्लंघन के मामले में एनएमसी ने इन आठ मुद्दों पर 8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. हालांकि एनआरएस की प्रिंसिपल प्रो डॉ इंदिरा डे ने इस संबंध में संवाददाताओं को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. पर प्रबंधन की ओर से डॉक्टरों को उपस्थिति के बारे में चेतावनी देते हुए एक दिशानिर्देश जारी किया गया है.उधर, इस संबंध में प्रो डॉ मानस गुमटा चटर्जी का कहना है कि, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग जुर्माना लगाने की धमकी दी है. मेडिकल कॉलेजों के आधारभूत ढांचे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दूसरी ओर आरजी कर मेडिकल कॉलेज में अभया की हत्या और बलात्कार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की गयी. जूनियर डॉक्टरों का हर कदम पर विरोध किया गया. उत्तर बंगाल लॉबी फिर से सक्रिय हो गयी है. अब एनएमसी की सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि अस्पताल प्रबंधन व्यवस्था सुधारने की दिशा में जरूरी कदम उठाया जायेगा और आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी.

नोटिस में इन मुद्दों का है उल्लेख

मेडिकल कॉलेज के 20 में से 18 विभागों में शिक्षक डॉक्टरों की उपस्थिति दर बेहद कम है.

पिछले साल एक अगस्त का एक वीडियो भी आयोग के हाथ लगा है. वीडियो परीक्षा हॉल नंबर 8 का है. इसमें देखा जा सकता है कि परीक्षा के दौरान कई लोग खुलेआम हॉल में घुस रहे हैं. परीक्षार्थी एक दूसरे से बात कर रहे हैं और उत्तर लिख रहे हैं. इसका मतलब यह है कि खुलेआम नकल चल रही थी.

 एनएमसी ने एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, फॉरेंसिक मेडिसिन, फिजियोलॉजी में सीनियर रेजिडेंट के रिक्त पदों को लेकर भी चिंता व्यक्त की है. फिलहाल उक्त सभी पद रिक्त हैं. उक्त विषयों से पीजीटी कर चुके चिकित्सकों को अभी इस पोस्ट पर नियुक्त नहीं किया गया है.

अस्पताल के केवल 73 प्रतिशत बेड पर ही मरीजों की भर्ती ली जा रही है. यानी मरीजों की भर्ती दर भी संतोषजनक नहीं है.

अस्पताल में मरने वाले मरीजों की जानकारी ठीक से पोर्टल पर अपलोड नहीं की जा रही है. यही नहीं भर्ती होने वाले मरीजों में से मरने वाले मरीजों की संख्या भी अपलोड नहीं की जा रही है.

अस्पताल में मरीजों के उपयोग में आने वाली इंडोर बेड की भी पर्याप्त जानकारी नहीं दी गयी है.

 साइटोपैथोलॉजी यानी पैथोलॉजी से संबंधित जांच की जानकारी भी संतोषजनक नहीं है.

शवों से संबंधित आंकड़े, अर्थात् अस्पतालों में होने वाली मौतों के आंकड़े, तथा ऑपरेशन थियेटर की संख्या भी सही ढंग से रिपोर्ट नहीं की जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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