श्रीकांत शर्मा, कोलकाता भारतीय रेल ने एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज करते हुए आजादी के बाद पहली बार मिजोरम की राजधानी आइजोल को देश के रेल मानचित्र से जोड़ा है. बइरबी-सायरंग रेल परियोजना के पूरा होने से पूर्वोत्तर भारत का रेल संपर्क बढ़ेगा. 51.38 किलोमीटर लंबी बइरबी–सायरंग रेल परियोजना का उद्घाटन 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक डॉ उदय शंकर झा ने बताया कि पीएम मोदी 13 सितंबर को मिजोरम की राजधानी आइजोल के सायरांग से कोलकाता स्टेशन तक के लिए एक एक्सप्रेस ट्रेन और सायरांग स्टेशन से ही नयी दिल्ली के आनंद बिहार तक के लिए मिजोरम की पहली राजनधानी एक्सप्रेस ट्रेन का भी उद्घाटन करेंगे. यह परियोजना न केवल भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मानी जाती है, बल्कि इंजीनियरिंग और निर्माण की दृष्टि से भी भारतीय रेल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह ऐतिहासिक कदम न केवल मिजोरम के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करने वाला होगा. 13125 कोलकाता-सायरंग एक्सप्रेस के शुरू होने से कोलकातावासियों की पहुंच मिजोरम की खूबसूरत वादियों तक हो सकेगी. जानकारी के अनुसार, यह ट्रेन कोलकाता स्टेशन से सप्ताह में तीन दिन शनिवार, मंगलवार और बुधवार को रवाना होगी, जबकि 13226 सायरंग-कोलकाता एक्सप्रेस सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को रवाना होगी. 22 कोच वाली इस ट्रेन के सभी डिब्बे एलएचवी होंगे. कोलकाता और सायरंग स्टेशनों के मध्य इस ट्रेन का ठहराव नैहाटी, कृष्णानगर सिटी, बहरमपुर कोर्ट, मुर्शिदाबाद, आजिमंग, जंगीपुर रोड, न्यू फरक्का, मालदा टाउन, किशनगंज, न्यू जलपाईगुड़ी, न्यू कूचबिहार, तूफानगंज, गोलकगंज, गौरीपुर, विसालपुर, अभयपुरी, गोवालपाड़ा टाउन, कामाख्या, गुवाहाटी, होजाई, न्यू हाफलॉम,बदरपुर,हैलाकांडी और बइरबी में होगा. परियोजना की विशेषताएं बइरबी–सायरंग रेल परियोजना के पूरा होने से पूर्वोत्तर भारत के चार राज्यों की राजधानियों से रेल संपर्क स्थापित हो सकेगा. अब तक पूर्वोत्तर क्षेत्र की तीन राजधानियां, गुवाहाटी (असम), इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा) सीधे रेल नेटवर्क से जुड़ी थीं. मई 2025 में सायरंग तक पहला सफल ट्रायल हुआ था. अब मिजोरम की राजधानी आइजोल भी रेल नेटवर्क से जुड़ जायेगी. 51.38 किलोमीटर लंबी बइरबी–सायरंग रेल परियोजना की लागत 8071 करोड़ रुपये से अधिक है. इस परियोजना के तहत चार नये स्टेशन हरतकी, कावनपुई, मुअलखांग और सायरंग का निर्माण किया गया है. इस परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल बनाये गये हैं. इसके अलावा 48 सुरंगों का निर्माण किया गया है, जिनकी कुल लंबाई 12.8 किलोमीटर से अधिक है. परियोजना का सबसे उल्लेखनीय इंजीनियरिंग चमत्कार है पुल संख्या 196 का पियर P-4, जिसकी ऊंचाई 114 मीटर है. यह कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है.
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