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राज्य गीत मामले में जीटीए के साथ गलतफहमी नहीं : ब्रात्य

राज्य के स्कूलों में ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जल’ (बंगाल की मिट्टी, बंगाल का जल) को राज्य गीत के रूप में गाने को लेकर उठे विवाद पर शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने स्थिति स्पष्ट की है.

संवाददाता, कोलकाता

राज्य के स्कूलों में ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जल’ (बंगाल की मिट्टी, बंगाल का जल) को राज्य गीत के रूप में गाने को लेकर उठे विवाद पर शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के साथ इस मुद्दे पर कोई गलतफहमी नहीं है. राज्य सरकार ने बंगाल की संस्कृति और परंपरा को सहेजने के लिए सभी स्कूलों में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे इस गीत को प्रत्येक प्रार्थना सभा में गाने का निर्णय लिया है. शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया था कि पहाड़ी क्षेत्र की स्थानीय जीटीए प्रशासन के कुछ सदस्य इस निर्णय को मानने के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि, बसु ने इन खबरों को पूरी तरह से अफवाह करार दिया. उन्होंने स्पष्ट कहा : जीटीए के साथ किसी प्रकार की गलतफहमी नहीं है. स्थानीय परंपरा और संस्कृति को सम्मान देना जरूरी है. शिक्षा मंत्री ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि उन्होंने जीटीए प्रशासन के साथ बातचीत की है और स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है. उन्होंने कहा : राज्य की अखंडता और एकता बनाये रखते हुए स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान राज्य गीत गाया जायेगा. सूत्रों के अनुसार, जीटीए अधिकारियों ने भी अपनी ओर से सुझाव दिया है कि स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के दौरान स्थानीय परंपरा और संस्कृति के महत्व को ध्यान में रखा जाये. इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गयी है और किसी भी तरह की गलतफहमी की स्थिति नहीं है.

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