कोलकाता. तृणमूल से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने छह दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद का शिलान्यास किया था. जानकारी मिली थी कि सऊदी अरब के मक्का के दो इमाम आ रहे हैं. हालांकि कार्यक्रम के बाद आरोप लगा कि वहां मौजूद दो धार्मिक नेता सऊदी अरब से नहीं, बल्कि इसी राज्य से शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इनमें से एक मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं, दूसरे मेदिनीपुर के निवासी हैं. विधायक हुमायूं ने खुद इस बात को स्वीकार किया. उनका आरोप है कि उनके साथ धोखा हुआ है. यह धोखा राज्य के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने दिया है. वहीं सिद्दिकुल्लाह ने इस दावे को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी को धोखा देने की जरूरत नहीं है. जानकारी के मुताबिक दो धार्मिक नेताओं में से एक सूफिया मुर्शिदाबाद के दौलताबाद के रहने वाले हैं. दूसरे शेख अब्दुल्ला पूर्व मेदिनीपुर के रहने वाले हैं. हुमायूं ने कहा कि मैंने लोगों पर भरोसा किया. सऊदी अरब से इमाम को लाने के लिए फ्लाइट का टिकट और उससे जुड़े खर्चे भेज दिये. बाद में पता चला कि एक दौलताबाद से है, दूसरा मेदिनीपुर का है. हालांकि जिस बिचौलिये को यह जिम्मेदारी दी गयी थी, उसने अपनी गलती स्वीकार की है.
उसका कहना था कि इतने कम समय में अरब से इमाम को लाना संभव नहीं था. हुमायूं ने कहा कि पूरे प्लान का मास्टरमाइंड सिद्दिकुल्लाह चौधरी हैं. उन्होंने मेरे एक पहचान के बिचौलिये को बहकाकर मुझे बेइज्जत करने के लिए यह घटना की है. मैं सब कुछ सामने लाऊंगा. इसे लेकर सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने कहा कि हुमायूं को मुझे इसमें शामिल नहीं करना चाहिए. मैं एक संगठन चलाता हूं जिसके तहत 1100 मदरसे चलते हैं. मुझे किसी को धोखा देने की जरूरत नहीं है.
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