संवाददाता, कोलकाता
इंडियन सेकुलर फ्रंट (आइएसएफ) के एकमात्र विधायक और संगठन के अध्यक्ष नौशाद सिद्दिकी ने वाममोर्चा के चेयरमैन बिमान बसु को एक पत्र भेजा था. विधायक ने अगस्त के आखिरी हफ्ते में बिमान बसु को ईमेल के जरिये यह पत्र भेजा था. सूत्रों के अनुसार उन्होंने यह पत्र अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा के साथ गठबंधन को लेकर भेजा था. 2021 के विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा, कांग्रेस और आइएसएफ ने मिल कर चुनाव लड़ा था. यह गठबंधन संयुक्त मोर्चा के नाम से चुनाव में उतरा था, लेकिन जीत नहीं मिली. भांगड़ सीट से नौशाद के अलावा संयुक्त मोर्चा का कोई और उम्मीदवार जीत नहीं सका. 2021 के चुनाव के बाद संयुक्त मोर्चा एक साथ फिर नहीं दिखा. वाममोर्चा और कांग्रेस ने राज्य में कुछ उपचुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था. अकेले चुनाव लड़ने वाली आइएसएफ का लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन रहा, इसलिए नौशाद अगला विधानसभा चुनाव फिर से साथ मिल कर लड़ना चाहते हैं. उस पत्र में वाममोर्चा चेयरमैन से अगले विधानसभा चुनाव में फिर से साथ मिलकर लड़ने का अनुरोध किया गया था. नौशाद को जब पता चला कि बिमान बसु को ईमेल से भेजा गया पत्र नहीं मिला है, तो उन्होंने पत्र के साथ अलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित मुजफ्फर अहमद भवन जाने का फैसला लिया है. वह खुद माकपा मुख्यालय जाकर बिमान बसु से मिलेंगे. उन्हें पत्र देने के साथ मौखिक रूप से अपने राजनीतिक विचारों से अवगत करायेंगे.
माकपा के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार को भी गठबंधन को लेकर लिखित संदेश भेजेंगे. जानकारों का मानना है कि अगर संयुक्त मोर्चा फिर से बनता है, तो उनका मुख्य लक्ष्य राज्य के अल्पसंख्यक वोटों को हासिल करना होगा. इसकी वजह संयुक्त मोर्चा अल्पसंख्यक मतदाताओं को स्वीकार्य है. राज्य विधानसभा में शून्य होने के बावजूद मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर के अल्पसंख्यक लोग कांग्रेस को वोट देते रहे हैं. लोकसभा चुनावों में भी यह देखा गया है.
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