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कैमरे में दिखा कस्तूरी मृग, 70 साल बाद वन विभाग की बड़ी सफलता

सात दशक बाद नेओरा वैली नेशनल पार्क में लगाये गये ट्रैप कैमरे में कस्तूरी मृग दिखायी देने से वन विभाग में उत्साह की लहर दौड़ गयी है.

कोलकाता. सात दशक बाद नेओरा वैली नेशनल पार्क में लगाये गये ट्रैप कैमरे में कस्तूरी मृग दिखायी देने से वन विभाग में उत्साह की लहर दौड़ गयी है. आखिरी बार इस दुर्लभ प्रजाति को 1955 में दार्जिलिंग के सिंगालीला नेशनल पार्क में देखा गया था. तब से इसका कोई प्रमाण नहीं मिला था. अब कैमरे में कैद हुई तस्वीरों ने राज्य के जंगलों में कस्तूरी मृग की मौजूदगी को लेकर नयी उम्मीद जगा दी है. उत्तर बंगाल के चीफ फॉरेस्ट ऑफिसर (वाइल्ड लाइफ) भास्कर जेवी ने बताया कि कैमरों में लुप्तप्राय कस्तूरी मृग की तस्वीरें मिली हैं. इसके बाद क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. उन्होंने कहा कि इस प्रजाति की पुष्टि और आबादी संबंधी जानकारी के लिए और रिसर्च की आवश्यकता है. वन विभाग यह भी जांच कर रहा है कि दिखा मृग किस उप-प्रजाति का है और जंगल में कितनी संख्या में मौजूद हो सकते हैं.

जानकारी के अनुसार, कस्तूरी दुनिया की सबसे कीमती प्राकृतिक खुशबू मानी जाती है. यह नर कस्तूरी मृग की नाभि के पास स्थित एक विशेष ग्रंथी से बनती है. यह ग्रंथी तब विकसित होती है, जब नर मृग लगभग 10 वर्ष का हो जाता है. कस्तूरी की तेज और दीर्घस्थायी सुगंध के कारण तस्कर और शिकारी इस प्रजाति को निशाने पर रखते हैं, जिससे यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त हो गयी है. दार्जिलिंग की नेओरा घाटी के अलावा देश में अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और उत्तराखंड के जंगलों में भी कस्तूरी मृग पाये जाते हैं.

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