कोलकाता. आचार्य महाश्रमण जी के शिष्य मुनि जिनेश कुमार के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में तथा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा ट्रस्ट पूर्वांचल कोलकाता के आयोजन में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान योग कार्यशाला का आयोजन पूर्वांचल स्थित अवनी में किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया. कार्यशाला समापन पर मुनि जिनेश कुमार ने कहा- जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है जीने की कला सीख लेना. जीने की कला का महत्वपूर्ण सूत्र है प्रसन्नता, प्रशांत और समाधि में रहना, जो व्यक्ति समाधि में रहता है वह प्रसन्न व प्रशांत रहता है. वह जीवन जीने की कला में कुशल रह सकता है. प्रेक्षा ध्यान जीवन जीने की कला सिखाता है. ध्यान मन को साधने का सर्वोत्तम उपाय है. ध्यान आत्मरूपी घर में निवास करने का श्रेष्ठ आलम्बन हैं. ध्यान पौष्टिक औषधि है. चेतना के रुपांतरण की प्रक्रिया है. इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष संजय सिंधी ने विचार रखे. आभार व्यक्त लालित बैद ने किया. प्रशिक्षण रवि छाजेड़, पारस बैद, सुधा बैगाणी, अंजु कोठारी, मंजू सिपाणी ने दिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है