सुनवाई. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने पर्षद व राज्य सरकार से पूछा
संवाददाता, कोलकातापश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा पर्षद के माध्यम से नियुक्त 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियाें को कलकत्ता हाइकोर्ट की एकल पीठ ने रद्द कर दिया है, जिसके खिलाफ पर्षद व राज्य सरकार ने खंडपीठ पर याचिका दायर की है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने पूछा कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य? इसकी पहचान कैसे होगी? सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतोब्रत कुमार मित्रा की खंडपीठ ने 32,000 कार्यरत प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की नौकरी रद्द करने से जुड़े मामले में यह सवाल उठाया. गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई खंडपीठ में तीन महीने से भी अधिक समय से चल रही है. प्राथमिक शिक्षा बोर्ड और राज्य सरकार के बाद अब कार्यरत शिक्षकों के वकील खंडपीठ के समक्ष अपनी दलीलें रख रहे हैं. न्यायाधीशों ने सोमवार की सुनवाई के दौरान कार्यरत शिक्षकों के वकीलों से यह सवाल पूछा था. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि इसका चयन कैसे होगा कि किसने अनियमितताओं का लाभ उठाया और किसने नहीं? ” इस सवाल का सीधा जवाब दिए बिना, वकील ने जवाब में एक और सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उन लोगों को भी सज़ा मिलेगी जो किसी अनियमितता में शामिल नहीं हैं और जिन्होंने कोई अनुचित लाभ नहीं उठाया है?
32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द होने का मामला
गाैरतलब है कि तत्कालीन न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने सेवारत शिक्षकों को अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया और उनकी बात सुने बिना 32,000 नौकरियां रद्द करने का आदेश दे दिया? मामले की सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

