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गुरुद्वारे के नाम कर दिये 30 करोड़ से भी ज्यादा के मकान और जमीन

सेवाभाव. बड़ा दान देकर चर्चा के केंद्र में आये आसनसोल के गुरु सिंह

सेवाभाव. बड़ा दान देकर चर्चा के केंद्र में आये आसनसोल के गुरु सिंह

स्टांप ड्यूटी का भुगतान भी दानदाता ने ही कर दिया, शुक्रवार को संपत्ति के कागजात कर दिये गये गुरुद्वारा प्रधान के हवाले

आसनसोल. आसनसोल के प्रख्यात व सिख समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति दिवंगत आरएस चौधरी के पुत्र गुरपिंदर सिंह चौधरी उर्फ गुरु सिंह ने आसनसोल पुलिस लाइन के पास हिंदुस्तान पार्क इलाके में स्थित अपनी पुश्तैनी जमीन आसनसोल श्री गुरुनानक गुरुद्वारा को दान कर दी. इस संपदा का कुल विस्तार लगभग तीन बीघे में है. इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये से भी ज्यादा आंकी जा रही है. इस भूखंड में इस परिवार का मकान भी शामिल है. शुक्रवार को गुरु सिंह ने एक कार्यक्रम में संपत्ति के कागजात आसनसोल गुरुद्वारा के प्रधान अमरजीत सिंह बरारा को सौंप दिये और अपनी पत्नी के साथ नये आवास के लिए निकल गये. आसनसोल गुरुद्वारा के प्रधान श्री बरारा ने बताया कि आसनसोल के इतिहास में आज तक इतना बड़ा दान किसी ने गुरुद्वारा को कभी नहीं दिया. यह वाकई चौंकानेवाली घटना है. गौरतलब है कि आरएस चौधरी की मौत के बाद उनकी संपत्ति को लेकर उनके बेटे-बेटी में विवाद हो गया. बेटी यूएस सिटीजन है. गुरु सिंह भी यूएस में थे. पिता की मौत के बाद भारत आये. संपत्ति को लेकर भाई-बहन में विवाद के बाद आखिरकार मालिकाना हक गुरु सिंह को ही मिला. सारे कागजात उन्हीं के नाम थे. जिस संपत्ति को लेकर भाई-बहन में इतना विवाद हुआ, उस संपत्ति को गुरु सिंह ने दान ही कर दिया.

गुरुद्वारा प्रधान ने कहा कि जमीन के हस्तांतरण में लगने वाला सरकारी शुल्क भी लाखों में था. पर, इसका भुगतान भी गुरु सिंह ने खुद ही कर दिया. चौधरी परिवार का आसनसोल से पुराना रिश्ता है.शहर में सभी इनके परिजनों को जानते हैं. श्री बरारा ने कहा कि गुरपिंदर उर्फ गुरु सिंह ने जब उन्हें बताया कि वह अपनी सारी अचल संपत्ति गुरुद्वारे को देना चाहते हैं तो वह आश्चर्य से भर गये. यह सोच कर कि इस प्रकार कोई अपनी पूरी संपत्ति को दान कैसे दे सकता है? लेकिन आखिरकार गुरु सिंह ने अपनी सारी संपत्ति आसनसोल गुरु नानक गुरुद्वारे के नाम कर दी है. किसी भी शुभ काम को करने से पहले सिख धर्म में हुकुमनामा अरदास परवानगी की जाती है. गुरु सिंह की संपत्ति की भी चाबी लेने के पहले सारे धार्मिक अनुष्ठान पूरे किये गये, जिसके बाद गुरु सिंह ने अपनी जमीन के कागजात सौंपे. अब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी आपसी सहमति से तय करेगी की इस संपत्ति का उपयोग कैसे हो.

गुरु सिंह ने कहा कि उनका परिवार सदा मानवता की सेवा में तत्पर रहता है. सेवा उनके लिए बहुत मायने रखती है. उनका लगाव अमृतसर दरबार साहिब गोल्डन टेंपल के साथ काफी करीबी रहा है. ढाई साल पहले जब वह दरबार साहिब में बैठे चिंतन कर रहे थे, तभी उनकी अंतरात्मा से आवाज आयी कि उन्हें संगत की सेवा के लिए अपनी संपत्ति दान कर देनी चाहिए. गुरु के आदेश अनुसार उन्होंने यह निर्णय लिया. पत्नी ने भी उनके निर्णय पर सहमति जतायी. उसके बाद उन्होंने आसनसोल गुरु नानक गुरुद्वारा के प्रमुख को फोन कर अपने निर्णय की जानकारी दी और शुक्रवार को यह प्रक्रिया पूरी भी कर ली गयी.

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