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ट्रांसजेंडर्स के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों को संवेदनशीलता से पेश आने की जरूरत : डॉ सपन सोरेन

स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर्स ने रखीं समस्याएं

स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर्स ने रखीं समस्याएं सरकारी अस्पतालों में विशेष प्रशिक्षण देने की घोषणा संवाददाता, कोलकाता ट्रांसजेंडर्स के प्रति सरकारी अस्पतालों में संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता है. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. यह जानकारी राज्य स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ सपन सोरेन ने दी. डॉ सोरेन राज्य स्वास्थ्य विभाग में इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (आइओपी) के साइकेट्रिस्ट सोशल वर्क विभाग की ओर से आयोजित ‘जेंडर इनक्लूसिव हेल्थकेयर स्ट्रैटेजी’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर्स की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने अपनी समस्याएं और अनुभव साझा किये. डॉ सोरेन ने कहा कि होमोसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर्स भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं. ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए, जिससे उन्हें समाज से अलग-थलग महसूस हो. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य विभाग जेंडर-बेस्ड क्लीनिक की बजाय मेनस्ट्रीम हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव चाहता है, ताकि सभी को समान और सम्मानजनक इलाज मिल सके. उन्होंने कहा, “हेल्थ वर्कर्स को ट्रांसजेंडर मरीजों के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए. इसके लिए सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा.” कार्यक्रम में आइओपी के साइकेट्रिस्ट सोशल वर्क विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ मयंक कुमार समेत अन्य अधिकारी व चिकित्सक भी मौजूद थे. इस अवसर पर इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (आइओपी) के निदेशक डॉ अमित कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि मानसिक बीमारी के इलाज में मरीज को पर्याप्त समय देना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में एक मनोचिकित्सक को एक घंटे में लगभग 15 मरीज देखने पड़ते हैं, जो चुनौतीपूर्ण होता है. ऐसे में आउटडोर में इलाज कर रहे चिकित्सकों को मरीजों के साथ यथासंभव करीबी और भरोसेमंद रिश्ता बनाने की कोशिश करनी चाहिए. कार्यक्रम में उपस्थित ट्रांसजेंडर महिला रूपशा ने अपनी समस्याएं साझा करते हुए बताया कि जेंडर मेल से फीमेल में बदलने के बावजूद कई बार उन्हें अस्पताल में मेल वार्ड में भर्ती किया जाता है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी इसीजी जांच के दौरान पुरुष या महिला हेल्थ वर्कर के स्पर्श से उन्हें असहजता महसूस होती है. जब ट्रांसजेंडर्स अपनी बात रख रहे थे, तब जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज के साइकेट्री विभाग के डॉ अनिर्बन राय और डायमंड हार्बर मेडिकल कॉलेज के डॉ सूर्या राय समेत कई अन्य चिकित्सक भी उपस्थित थे. मौके पर डॉ अनिर्बन राय ने कहा कि कई बार ट्रांसजेंडर अपनी पहचान को लेकर भटक जाते हैं और जीवन के लक्ष्यों से दूर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि अपनी पहचान को यथासंभव स्वाभाविक रूप से स्वीकार करना और आगे बढ़ना जरूरी है.

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